अस्पताल पर लटकाया ताला, चार दिन बाद भी नहीं दर्ज हुई एफआईआर, उठ रहे सवाल

निजी अस्पताल की लापरवाही से महिला की मौत, शव रखकर प्रदर्शन

अस्पताल पर लटकाया ताला, चार दिन बाद भी नहीं दर्ज हुई एफआईआर, उठ रहे सवाल




सिकंदरपुर (बलिया)।


सिकंदरपुर कस्बा मंगलवार की सुबह उस समय आक्रोश और ग़म में डूब गया, जब करमौता गांव निवासी रामाशीष कनौजिया ने अपनी 26 वर्षीय पुत्री माधुरी का शव लेकर बस स्टेशन चौराहे के पास स्थित दुबरी चौधरी के कटरा के बाहर रखकर प्रदर्शन शुरू कर दिया। परिजनों का आरोप था कि माधुरी की मौत एक निजी अस्पताल की घोर चिकित्सकीय लापरवाही के कारण हुई है।

बिना सहमति ऑपरेशन, बिगड़ती गई हालत

परिजनों के अनुसार, माधुरी, जो थाना नगरा क्षेत्र के ताड़ी बड़ागांव निवासी राजेश कनौजिया की पत्नी थी, को 26 जून को उर्मिला वर्मा के कहने पर सिकंदरपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। मृतका के पिता ने बताया कि बिना किसी लिखित अनुमति या जानकारी के, अस्पताल की महिला चिकित्सक ने बाहर से एक डॉक्टर बुलाकर ऑपरेशन करवा दिया।

ऑपरेशन के बाद से ही माधुरी की हालत लगातार बिगड़ती गई। परिजन लगातार बेहतर इलाज के लिए माधुरी को रेफर करने की गुहार लगाते रहे, लेकिन उन्हें हर बार डॉक्टरों द्वारा बहला-फुसलाकर रोक दिया गया। 30 जून को जब माधुरी की स्थिति बेहद नाज़ुक हो गई, तो उसे मऊ के फातिमा अस्पताल ले जाया गया, जहां गंभीर हालत देख उसे भर्ती करने से इनकार कर दिया गया। अंततः प्रकाश अस्पताल में इलाज के दौरान 1 जुलाई की रात करीब 11 बजे उसकी मौत हो गई।

गलत ऑपरेशन से पेट में फैला संक्रमण

मऊ के चिकित्सकों ने परिजनों को स्पष्ट बताया कि ऑपरेशन गलत तरीके से किया गया, जिससे संक्रमण पूरे पेट में फैल गया और यह जानलेवा साबित हुआ।

मंगलवार सुबह जब आक्रोशित परिजन शव के साथ अस्पताल पहुंचे तो वहां ताला लटक रहा था और पूरा स्टाफ फरार था। गुस्साए परिजनों ने शव को अस्पताल के सामने सड़क पर रखकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।

मासूम बच्ची को गोद में लेकर बेहोश होती रही महिला

प्रदर्शन के दौरान मृतका की चाची पौधारी देवी अपनी गोद में माधुरी की मासूम बच्ची को लेकर बिलखती रहीं और बार-बार बेहोश होती जा रही थीं। यह मंजर देख वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखें नम हो गईं। चारों ओर शोक, ग़ुस्से और पीड़ा का माहौल था।

प्रशासन ने की कार्रवाई, अस्पताल सील

सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने स्थिति को संभाला। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. संजीव वर्मन के निर्देश पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ. दिग्विजय सिंह और पीएचसी बघुड़ी के अधीक्षक डॉ. चंदन सिंह बिसेन की टीम ने अस्पताल का निरीक्षण किया और तत्काल उसे सील कर जांच शुरू कर दी गई।

परिजन कार्रवाई और मुआवजे की मांग पर अड़े

शोकाकुल परिजनों ने दोषी चिकित्सकों के खिलाफ कठोर कार्रवाई और उचित मुआवजा देने की मांग की है। वहीं, क्षेत्र में यह भी चर्चा जोरों पर है कि मौत के चार दिन बाद भी अभी तक प्राथमिक रिपोर्ट (FIR) तक दर्ज नहीं हुई है।

बिना लाइसेंस चल रहे 35 अस्पताल, नगर पंचायत प्रशासन बेखबर?

सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या यह केवल एक दिखावटी प्रदर्शन था या वाकई प्रशासन की गहरी लापरवाही है? सिकंदरपुर नगर पंचायत में इस समय करीब 35 जच्चा-बच्चा केंद्र बिना लाइसेंस के संचालित हो रहे हैं, जिन पर न तो कोई निगरानी है और न ही कोई वैधानिक कार्रवाई। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या सिकंदरपुर के स्वास्थ्य अधीक्षक को इन अवैध अस्पतालों की जानकारी नहीं है, या यह सब उनकी जानकारी में ही हो रहा है?


अब देखना है कि प्रशासन इस मामले में कितनी गंभीरता दिखाता है, या फिर यह भी एक और बेटी की मौत बनकर फाइलों में दफ्न हो जाए

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