सुखपुरा में अकीदत और आस्था के साथ निकला मोहर्रम का मातमी जुलूस, जंजीर मातम देख द्रवित हुए लोग
हिंदू-मुस्लिम भाईचारे का दिखा अनूठा उदाहरण, खेलों के माध्यम से भी दी श्रद्धांजलि
इस दौरान “या हुसैन” की सदाओं के बीच छाती पर हाथ मारते हुए मातम किया गया। जंजीर मातम के दृश्य ने उपस्थित लोगों को भावविभोर कर दिया। मातम की यह झांकी देखकर कई लोगों की आंखें नम हो गईं और रोंगटे खड़े हो गए। लोगों की भीड़ जुलूस को देखने के लिए सड़कों के किनारे जमा रही। क्षेत्रीय युवाओं द्वारा किए गए अनुशासित व मार्मिक प्रदर्शन की हर किसी ने सराहना की।
इस अवसर पर सामाजिक सौहार्द्र की अद्भुत मिसाल भी देखने को मिली। हिंदू व मुस्लिम समुदाय के युवाओं ने मिलकर विभिन्न पारंपरिक खेलों जैसे लाठी-डंडा, तलवारबाज़ी, रस्साकशी, और कबड्डी आदि का प्रदर्शन किया, जिससे माहौल और भी जीवंत हो गया। यह आयोजन क्षेत्र में एकता और भाईचारे का प्रतीक बन गया।
कार्यक्रम के दौरान स्थानीय प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। पुलिस बल लगातार गश्त कर रहा था, जिससे पूरा कार्यक्रम शांतिपूर्ण और व्यवस्थित तरीके से संपन्न हुआ।
इस अवसर पर मेराज अंसारी, लियाकत अली, नैमुद्दीन, अफताब आलम, गुड्डू अंसारी, अख्तर हुसैन, फैय्याज अहमद, मुमताज़ अली, रुस्तम अली, अशरफ़, विस्मील, मुन्ना, तमोली, इरशाद, शाहिद रज़ा, खालिद रज़ा समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।
स्थानीय लोगों ने बताया कि इस प्रकार का आयोजन न सिर्फ धार्मिक आस्था को जीवंत करता है, बल्कि सामाजिक समरसता और आपसी भाईचारे को भी मजबूती देता है।
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