अपनी सारी ताकत को एक बार लगा कर तुम देखो।।


अपनी सारी ताकत को एक बार लगा कर तुम देखो।।

 जो चाहोगे वो पाओगे (स्वरचित हिन्दी कविता)

प्रतापगढ़ लखनऊ उत्तरप्रदेश



अपनी सारी ताकत को एक बार लगा कर तुम देखो।।

कितना मुश्किल हो काम मगर जिद ठान कर तुम देखो।

जो चाहोगे वह पाओगे कोशिश करके तो देखो।

सपने सच होंगे एक दिन सामर्थ्य झोंक कर तुम देखो।

अपनी सारी ताकत को एक बार लगा कर तुम देखो।।

इंतजार कब किसका करता समय बड़ा बलवान।

उठ जाग जो करना है कर क्यों सोता इंसान।

लक्ष्य अगर पाना है तो डटकर तुम मेहनत करना।

मकसद हो अगर बुलंदी का तो राह नहीं होगी आसान।

अपनी सारी ताकत को एक बार लगा कर तुम देखो।।

मन से तुम हारे नहीं तो कोई हरा नहीं सकता।

रास्ते हो टेढ़े मगर राही थक

 नहीं सकता।

संघर्ष हो हर पल तो क्या डर के जी नहीं सकता।

असफल होने का गम नहीं सफलता की आस छोड़ नहीं सकता।

अपनी सारी ताकत को एक बार लगा कर तुम देखो।।

भाग्य को भी एक दिन अपने वश में करना पड़ता है।

पैरों के छलनी होने पर भी चलते रहना पड़ता है।

ऊंचाइयों को छूने वालों से तुम कभी पूछो जरा।

सुख ,चैन, नींद, गंवा कर क्या-क्या करना पड़ता है।

अपनी सारी ताकत को एक बार लगा कर तुम देखो।।

सीमा त्रिपाठी 

शिक्षिका साहित्यकार लेखिका 

लालगंज प्रतापगढ़


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