विंध्य पर्वत पर विराजमान आदि शक्ति माता विंध्यवासिनी की महिमा अपरंपार
जागृत शक्तिपीठ (विंध्यवासिनी माता धाम)
प्रतापगढ़ लखनऊ उत्तरप्रदेश
धर्मनगरी काशी एवं तीर्थराज प्रयाग के मध्य मिर्जापुर में पूर्ववाहिनी पतित पावनी गंगा के तट पर माता विंध्यवासिनी का मंदिर है। विंध्य धाम के त्रिकोण का महत्व बहुत है। त्रिकोण पथ पर निकले भक्तों को माता के दरबार में आदिशक्ति के तीनों रूपों का दर्शन एक ही परिक्रमा में मिल जाता है। विंध्य धाम में दर्शन पूजन व त्रिकोण करने से अनंत गुना फल की प्राप्ति होती है। विंध्य पर्वत की विशालकाय शिखर चोटी पर मां विराजमान है। इसी स्थान पर मां आदिशक्ति विंध्यवासिनी माता पूरे शरीर के साथ विराजमान है। जबकि देश के अन्य शक्तिपीठों में सती शरीर का एक-एक अंग गिरा था। इसलिए इनको शक्तिपीठ कहा जाता है परंतु विंध्यवासिनी माता को आदि शक्ति कहा जाता है। वैसे तो भक्तों के लिए मां के दर्शन पूजन के लिए हर दिन खास होता है परंतु नवरात्र में यहां भक्तों की भारी भीड़ होती है। नवरात्रि के दिनों में मां साक्षात रूप में विराजमान रहती हैं और अपने भक्तों को सुख व शक्ति प्रदान करती हैं विंध्य पर्वत पर विराजमान आदि शक्ति माता विंध्यवासिनी की महिमा अपरंपार है भक्तों के कल्याण के लिए सिद्ध पीठ विंध्याचल में मां सशरीर निवास करने वाली माता विंध्यवासिनी का धाम मणिद्वीप के नाम से विख्यात है। यहां आदि शक्ति मां विंध्यवासिनी अपने पूरे शरीर के साथ विराजमान है। पूरे संसार में एक मात्र यही स्थान ऐसा है जहां पर मां सत रज तम गुणों से युक्त महाकाली महालक्ष्मी और अष्टभुजा तीनों रूप में विराजमान है। विंध्य क्षेत्र को ऋषियों मुनियों की तपस्थली माना जाता है। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर मां गंगा की निर्मल धारा के समीप मां विंध्यवासिनी का मंदिर है। यह मंदिर एक जागृत पीठ भी माना जाता है। कुछ मान्यताओं के अनुसार माता विंध्यवासिनी कोई और नहीं बल्कि भगवान श्री कृष्ण की बहन योग माया है जिसे कंस ने वासुदेव और देवकी की आठवीं संतान समझकर मारना चाहा लेकिन वह नवजात कन्या कंस के हाथ से छूटकर आकाश में पहुंच गई और कंस की मृत्यु की भविष्यवाणी की। उसके बाद उन्होंने यही विंध्याचल में रहना स्वीकार किया। मां विंध्यवासिनी एक ऐसी जागृत शक्ति पीठ है जिसका अस्तित्व सृष्टि की आरंभ होने से पूर्व और प्रलय के बाद भी रहेगा। यहां देवी के तीन रूपों का दर्शन करने का सौभाग्य भक्तों को मिलता है। माता विंध्यवासिनी महालक्ष्मी महाकाली और मां सरस्वती के रूप में पूजी जाती है।
शिक्षिका साहित्यकार लेखिका
लालगंज प्रतापगढ़



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