पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान तथा तर्पण
पितरों का श्राद्ध (पितृपक्ष विशेषांक)
प्रतापगढ़ उत्तरप्रदेश
पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए नियम अनुसार पिंडदान तथा तर्पण किया जाता है ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष में पूर्वजों का धरती पर आगमन होता है यदि इस दौरान श्रद्धा के साथ पिंडदान और तर्पण किया जाए तो पूर्वज प्रसन्न होते हैं और अपने परिजनों को स्वस्थ एवं खुशहाल रहने का आशीर्वाद देते हैं प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से प्रारंभ होकर अमावस्या तिथि तक पितृपक्ष पड़ता है कहा जाता है कि इस दौरान लोग अपने पूर्वजों की मुक्ति के लिए श्राद्ध करते हैं उस दिन पूर्वज अपने बच्चों को आशीर्वाद देने धरती पर आते हैं पित्र पक्ष में कुछ कार्य ऐसे होते हैं जिसे करने की मनाही होती है जिन्हें करने से पितृ नाराज हो जाते हैं इसे घर में पितृ दोष होने के कारण परेशानियां और तनावपूर्ण माहौल रहता है पितृपक्ष में श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को मांसाहारी शराब तथा दूसरों के घर का खाना नहीं खाना चाहिए इस समय लोहे के बर्तन का प्रयोग वर्जित है इस समय पत्तल पर स्वयं तथा ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए पितृपक्ष में नई चीजों की खरीदारी नहीं करनी चाहिए श्राद्ध वाले दिन शरीर पर तेल नहीं लगाना चाहिए तथा ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए पितरों का अंश भोजन का निकाल कर ही भोजन करना चाहिए। जो भी खाना बने उसमें का एक अंश गाय कुत्ता कौवा को जरूर खिलाएं श्राद्ध के अवसर पर ब्राह्मण को भोजन अवश्य खिलाए नहीं तो पितृ रूष्ट हो जाते हैं शास्त्रों के अनुसार पूर्वजों का श्राद्ध करना आवश्यक होता है। ऐसा नहीं करने पर पितर रूठ जाते हैं यदि आपको अपने पितरों की तिथि नहीं याद है तो हम अमावस्या पर श्राद्ध करना चाहिए और ब्राह्मण भोजन अवश्य कराना चाहिए।
सीमा त्रिपाठी
शिक्षिका साहित्यकार लेखिका
लालगंज प्रतापगढ़
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