ददरी मेला की परंपरा पर संकट

ददरी मेला की परंपरा पर संकट, जन अधिकार मंच ने जताया विरोध

सुखपुरा (बलिया)। 



महर्षि भृगु मुनि की तपोस्थली बलिया में कार्तिक पूर्णिमा के पवित्र माह में लगने वाला ददरी मेला जनपद की अस्मिता और पहचान से जुड़ा हुआ है। यह मेला न केवल बलिया जनपदवासियों बल्कि देश के कोने-कोने से आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहता है। हर वर्ष कार्तिक मास में लाखों श्रद्धालु गंगा स्नान के साथ इस ऐतिहासिक मेले में शामिल होते हैं।

लेकिन इस बार प्रशासनिक उदासीनता और निर्णय प्रक्रिया को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। जन अधिकार मंच के अध्यक्ष अतुल सिंह ने एक विज्ञप्ति जारी कर आरोप लगाया है कि जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा से ददरी मेले की परंपरा को क्षति पहुँचाई जा रही है। उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले हुए भूमि पूजन कार्यक्रम को महज रस्म अदायगी के रूप में पूरा कर दिया गया, जिसमें न तो कोई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहा और न ही कोई प्रमुख जनप्रतिनिधि।

अतुल सिंह ने कहा कि परंपरागत रूप से ददरी मेला आयोजन की जिम्मेदारी नगर पालिका परिषद की होती है, किंतु इस बार जिलाधिकारी बलिया ने नगर पालिका अध्यक्ष को केवल परामर्शदात्री समिति का सदस्य बनाकर न सिर्फ पालिका बल्कि जनपदवासियों का अपमान किया है।

उन्होंने मांग की है कि मेला आयोजन नगर पालिका अध्यक्ष के नेतृत्व में ही किया जाए और जिला प्रशासन केवल मॉनिटरिंग अथॉरिटी की भूमिका में रहे। उन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजकर पूरे मामले से अवगत कराने की बात कही है

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