मुस्तफाबाद गांव में पट्टा भूमि विवाद पर प्रशासन मौन, कभी भी भड़क सकता है विवाद
बलिया
उत्तर प्रदेश सरकार गरीब जनता को आवास हेतु ग्राम सभा की भूमि पर पट्टा देकर बसाने का कार्य करती है। इस प्रकार की जमीन न तो बेची जा सकती है और न ही खरीदी जा सकती है। उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता एवं पंचायती राज अधिनियम के अनुसार ग्राम सभा की पट्टा भूमि का हस्तांतरण पूर्णतः प्रतिबंधित है। बावजूद इसके तहसील सिकंदरपुर अंतर्गत ग्राम मुस्तफाबाद में नियमों की खुलेआम अनदेखी की जा रही है।
गांव में पूर्व प्रधान के कार्यकाल में रमाशंकर व उमाशंकर नामक दो भाइयों के नाम पट्टा की गई भूमि को आपसी मिलीभगत से बेचा गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, एक भाई ने दूसरे भाई को ₹53,000 में यह भूमि बेच दी। यही नहीं, खरीदार पक्ष ने उस भूमि पर कब्जा भी कर लिया है। यह पूरा मामला सरकारी नियमों और कानून की अवहेलना का उदाहरण बन गया है।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, जब कुछ मीडिया कर्मी इस पूरे प्रकरण की सच्चाई जानने के लिए मौके पर पहुंचे, तो संबंधित पक्ष के घरवालों ने उनके वीडियो बनाकर डराने-धमकाने का प्रयास किया। जबकि मीडिया कर्मियों को समाचार संकलन के दौरान वीडियो बनाने का संवैधानिक अधिकार है, जब तक किसी की निजता का उल्लंघन न हो।
बताया जा रहा है कि विवादित भूमि आराजी संख्या 65, रकबा 3 डेसिमल पर स्थित है। इस जमीन पर अब दोनों पक्षों में तनातनी बनी हुई है और कभी भी बड़ा विवाद भड़क सकता है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि प्रशासन ने समय रहते इसमें हस्तक्षेप नहीं किया, तो स्थिति नियंत्रण से बाहर हो सकती है।
स्थानीय लोगों ने तहसील प्रशासन व पुलिस प्रशासन से मांग की है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच कर पट्टा भूमि पर कब्जा करने वालों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो यह मामला “खरीद गांव” जैसी गंभीर घटना का रूप ले सकता है। फिलहाल, यह पूरा मामला क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।


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