मां शैलपुत्री की उपासना

 नवरात्रि का प्रथम दिन 

मां शैलपुत्री की उपासना 


प्रतापगढ़

हिंदू धर्म में नवरात्रि का बहुत महत्व है। नवरात्रि के समय नौ दिनों तक मां दुर्गा की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। घरों में मां दुर्गा के नाम की अखंड ज्योति प्रज्ज्वलित की जाती हैं।घट स्थापना करके मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है।

सनातन धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। कन्या पूजन का भी अपना अलग महत्व है। माता के रूप में गृह लक्ष्मी और सरस्वती से महाकाली तक नौ  दिन  देवी के अलग स्वरूप की पूजा की जाती है। नौ दिन में अष्टमी और नवमी का भी खास महत्व है। उत्तर भारत में इन नौ दिनों के दौरान उपवास रखते हैं। और नौ दिन मां दुर्गा की पूजा करके हवन के बाद अनुष्ठान को समाप्त करते हैं।  मान्यता है कि नवरात्र में माता का पाठ करने से मां दुर्गा की कृपा दृष्टि प्राप्त होती है। मां दुर्गा को सुख समृद्धि तथा धन की देवी माना जाता है। जो भक्त पूरी श्रद्धा से मां दुर्गा की पूजा करते हैं। उन्हें मां का भरपूर आशीर्वाद मिलता है।आज 22 सितंबर 2025 दिन सोमवार से शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ हो रहा है। शारदीय नवरात्रि के प्रथम दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा होती है। माता पार्वती को शैलपुत्री कहा जाता है। इस दिन विधि पूरक पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। और कष्टो से छुटकारा मिल जाता है। इस दिन घट स्थापना के साथ-साथ विधि विधान से देवी की पूजा की जाएगी। माता का वाहन वृषभ है इसलिए इन्हें वृषारूढ़ा भी कहा जाता है। मां शैलपुत्री का स्वरूप शांत, सरल, तथा सौम्य, दया से परिपूर्ण है। माता की उपासना करने से व्यक्ति को स्थिरता, सुरक्षा, और चित् को शांति मिलती है। इस मंत्र से देवी के उपासना करने से 

मां प्रसन्न होती हैं। ------

 या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। 

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै 

नमो नमः।

सीमा त्रिपाठी 

शिक्षिका साहित्यकार लेखिका 

अध्यक्ष महिला शिक्षक संघ 

लालगंज प्रतापगढ़

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