जिश या हादसा? डॉ. बिंकटेश की मौत पर मचा बवाल, ओपीडी ठप, जांच की मांग तेज"
बलिया/आजमगढ़/लखनऊ।
वाराणसी में हुई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बांसडीह के अधीक्षक डॉ. बिंकटेश मउआर की रहस्यमयी मौत ने जिले भर के चिकित्सा जगत को झकझोर कर रख दिया है। मंगलवार को जिला अस्पताल परिसर में डॉक्टरों व स्वास्थ्यकर्मियों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए न केवल ओपीडी सेवाएं ठप कर दीं, बल्कि पांच सूत्रीय मांगों को लेकर धरना भी शुरू कर दिया।
स्वाभाविक मृत्यु नहीं, सुनियोजित हत्या का आरोप
इस दुखद मौके पर उपस्थित डॉ. विनोद सिंह ने आरोप लगाया कि डॉ. मउआर की मौत सामान्य नहीं, बल्कि गहरी साजिश का नतीजा है। उन्होंने कहा कि बांसडीह सीएचसी में संचालित अमृत फार्मेसी की आड़ में वर्षों से चल रही दबंगई और भ्रष्टाचार ने ही उन्हें जान देने पर मजबूर कर दिया।
जांच की मांग और गुस्से में डॉक्टर्स
चिकित्सकों ने सीएमओ डॉ. संजीव वर्मन के माध्यम से जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपते हुए मांग की कि इस पूरे मामले की सीबीआई या न्यायिक जांच कराई जाए। साथ ही, अमृत फार्मेसी के दोनों संचालक भाइयों पर मुकदमा दर्ज कर उन्हें अस्पताल परिसर से तत्काल हटाया जाए।
अस्पताल में फार्मेसी माफिया का आतंक?
डॉक्टरों का आरोप है कि फार्मेसी के संचालक लगातार दबाव बनाकर केवल अपनी दवाएं लिखवाने को मजबूर करते हैं, और विरोध करने पर खुलेआम अभद्रता व धमकी दी जाती है। कर्मचारी भय के साये में काम कर रहे हैं। डॉक्टरों ने चेतावनी दी कि जब तक कार्रवाई नहीं होती, तब तक बांसडीह में ओपीडी सेवाएं बंद रहेंगी।
जिलेभर में बंद रही ओपीडी, एकजुट दिखे चिकित्सक
सिर्फ बांसडीह ही नहीं, जनपद के रेवती, रसड़ा, मनियर जैसे कई अन्य अस्पतालों में भी चिकित्सकों ने ओपीडी सेवा बंद कर दिवंगत डॉ. बिंकटेश मउआर को श्रद्धांजलि दी। मौके पर डॉ. प्रणय कुणाल, डॉ. अमित गुप्ता, डॉ. नितिन कुमार सिंह, डॉ. सगीर, डॉ. आनंद समेत बड़ी संख्या में चिकित्सक मौजूद रहे।
सवाल खड़ा करता यह मौन
डॉ. मउआर की मृत्यु पर सन्नाटा जरूर है, लेकिन उस सन्नाटे के पीछे उठते सवाल सरकार व प्रशासन की ओर टकटकी लगाए हैं। क्या वाकई यह हादसा है, या किसी दबंग व्यवस्था का शिकार हो गया एक ईमानदार चिकित्सक
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