रिश्ता प्रेम का

 शीर्षक - रिश्ता प्रेम का

प्रतापगढ़

रतनपुरा गांव में शिवानी नाम की सीधी-सादी लड़की रहती थी जो कि सुंदर इतनी थी कि जब घर से बाहर निकले तो सबकी निगाहें उसकी ओर खींची चली जाती थी |  शिवानी 15- 16 वर्ष की थी लेकिन उसका बचपना आज तक गया नहीं उसका गोरा रंग अंधेरे में दिया जैसे चमकता था आंखें बड़ी-बड़ी उसकी सुंदरता देख कर लगता था कि भगवान ने बड़ी फुर्सत से बनाया है | समय बीतता गया शिवानी की बुआ की तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो गई | अस्पताल में भर्ती कराया गया शिवानी अपने पापा जी के साथ बुआ को देखने गई तो बुआ ने रोक लिया शिवानी के रहने से बुआ को काफी आराम मिल जाता था | शिवानी बुआ की बहुत सेवा भी करती थी शिवानी की बुआ की सहेली रत्ना अपने परिवार के साथ बुआ जी को देखने आई शिवानी पर नजर पड़ते ही वह एकटक निहारती ही रह गई और बोली ऐसी लड़कियां बड़े भाग्य से मिलती हैं उनको शिवानी इतनी पसंद आ गई कि वह अपने लड़के के लिए रिश्ता भी पक्का कर ली | रत्ना का बड़ा लड़का जो सॉफ्टवेयर इंजीनियर ग्वालियर में था धूमधाम से शादी की तैयारियां होने लगी शादी के समय शिवानी ने अपने पति से कहा कि मुझे अपनी पढ़ाई जारी रखना है और मुझे वकालत की पढ़ाई करके महिलाओं के उत्पीड़न तथा शोषण से संबंधित समस्याओं को सुलझाना है | शादी के बाद उसके पति ने उसका एडमिशन लॉ कॉलेज में करा दिया शिवानी को उसके सपने सच होते दिखाई देने लगे | वह खूब मेहनत करके पढ़ाई करने लगी शिवानी को तो उस दिन का बेसब्री से इंतजार था | जब वह कोर्ट में खड़ी होकर महिलाओं के पक्ष में बहस करें और केस को जीत भी दिलाये और उसने संकल्प किया था कि महिलाओं तथा लड़कियों के केस में वह फीस नहीं लेगी निःशुल्क कार्य करेगी महिलाओं पर हो रहे अत्याचार बलात्कार घरेलू हिंसा को जड़ से उखाड़ फेंक देना चाहती थी और 5 वर्ष बीत गया शिवानी ने पूरे कॉलेज में टॉप किया उसे जब गोल्ड मेडल दिया जा रहा था | जब उससे पूछा गया कि आपकी सफलता का राज क्या है तब उसने मुस्कुराकर अपने पति राहुल की ओर इशारा करके कहती है सब इनकी बदौलत हुआ है मेरे पति ने मेरे सपनों को साकार करने में मेरी पूरी मदद की और असली गोल्ड मेडल के हकदार तो यही है | ऐसा कहकर शिवानी ने गोल्ड मेडल अपने  गले से उतार कर अपने पति के गले में डाल दिया शिवानी के सपने साकार करके आज राहुल को हार्दिक प्रसन्नता हो रही थी और मन ही मन सोच रहा था कि हम सभी को मिलकर महिलाओं को आगे बढ़ने में तथा उनके सपनों में रंग भरने में मदद करनी चाहिए ना कि उनको हतोत्साहित करना चाहिए |
सीमा त्रिपाठी

लालगंज प्रतापगढ़

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