टूटे रिश्ते बिखरता परिवार
प्रतापगढ़
मनुष्य जिस तीव्र गति से उन्नति कर रहा है। उसी गति से उसके संबंध पीछे छूटते जा रहे हैं। संयुक्त परिवार टूट रहे हैं। मां-बाप निस्वार्थ भाव से बच्चों का पालन पोषण करके बड़ा करते हैं। उन्हें समुचित शिक्षा दिलाने के लिए हर संभव कोशिश करते हैं अपने बच्चों को एक कामयाब इंसान बनाने के लिए तन मन धन सब न्योछावर कर देते हैं जबकि बच्चे यह बात समझ नहीं पाते हैं। कहा जाता है कि पिता के समान कोई सलाहकार नहीं और मां के आंचल से बड़ी कोई दुनिया नहीं भाई से बड़ा कोई भागीदार नहीं और बहन से बड़ा कोई शुभचिंतक नहीं। सच! कितना अपनापन और आत्मिक स्नेह था उस दौर में। यह वह समय था जब रिश्तो में अपनापन था और लोग रिश्ते निभाते थे ढोते नहीं थे। लेकिन बदलते दौर ने इस सारी व्यवस्था को बदलकर ही रख दिया आज परिवार छोटे हो गए सब लोग स्वान्त: सुखाय में जी रहे हैं। आज के समय में इंसान भौतिक सुख सुविधाओं के पीछे भागते-भागते परिवार तथा रिश्तो को भूल बैठा है। आज चाचा मामा मौसी जैसे कई रिश्ते समाप्त होते जा रहे हैं।
महिला दिवस के अवसर पर एस एन पब्लिक स्कूल मलेजी नवरतन पुर में 8 मार्च को एक पिता की दो बेटियों पर 1 का पूरे शत्र का फीस माफ औऱ 1 बेटी पर 3 माह फीस माफआजकल के बच्चों को मोहल्ले में रह रहे बच्चों के बारे में पता ही नहीं होता है तो उनको भाई बहन मानकर प्रेम करने की बात तो कोसों दूर है। पहले के लोग सोचते थे कि घर भले छोटा हो किंतु परिवार बड़ा हो। सामूहिक परिवार में बच्चे कब बड़े हो जाते थे पता ही नहीं चलता था। बदलते समय ने व्यक्ति की सोच में निजता को हावी कर दिया है और इसी निजता ने व्यक्ति को परिवार से दूर करने के लिए प्रेरित किया है। आज जरूरत है सभी के दिल दिमाग के दरवाजे खोलने की ताकि सबके दिल दिमाग में परिवार के प्रति प्रेम का भाव जाग उठे और सारा परिवार सारा मोहल्ला सारा गांव सारे रिश्ते अपने लगने लगे और रिश्तो की मिठास फिर से वापस आ जाये।
शिक्षिका साहित्यकार लेखिका
लालगंज प्रतापगढ़
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