मकर संक्रांति को होने वाला स्नान विशेष मंगलकारी

मकर संक्रांति को होने वाला स्नान विशेष मंगलकारी

प्रतापगढ़ लखनऊ उत्तरप्रदेश 

प्रयागराज की पवित्र भूमि पर कुंभ मेले भारतीय संस्कृति और महाकुंभ  किया जाता है। यह बहुत बड़ा धार्मिक मेला है। इसकी शुरुआत 13 जनवरी 2025 से और समापन 26 फरवरी 2025 को होगा। महाकुंभ 144 साल में आयोजित होता है। महाकुंभ मेला एक विशाल धार्मिक समागम है। ज्योतिष गणनाओं के अनुसार यह मेला पौष पूर्णिमा से प्रारंभ होता है। मकर संक्रांति इसका विशेष पर्व होता है। मकर संक्रांति को होने वाले स्नान को विशेष मंगलकारी माना जाता है। क्योंकि ऐसी मान्यता है कि पृथ्वी से उच्च लोक का द्वार इसी दिन खुलता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना बहुत ही पुण्यदायक होता है। महाकुंभ मेले की उत्पत्ति समुद्र मंथन की पौराणिक कथा से जुड़ी है। देवता और असुर अमृत के लिए समुद्र मंथन कर रहे थे तब उसमें से एक अमृत कलश (कुंभ) निकला। इसे पाने के लिए देवता और असुर  12 दिनों तक युद्ध किया। यह 12 दिन 12 वर्षों के बराबर था। देवता कलश कुंभ लेकर भागे असुर भी कलश पाने के लिए देवता के पीछे-पीछे भागे भागते समय अमृत की कुछ बूंदें इन चार स्थानों पर गिरी यह स्थान है--- प्रयागराज,हरिद्वार,

 नासिक, उज्जैन।  प्रयागराज में लगने वाले महाकुंभ का महत्व इसलिए और बढ़ जाता है क्योंकि यहां गंगा जमुना सरस्वती तीन नदियों का संगम है। जिसके कारण यह स्थान और जगह की अपेक्षा अधिक महत्वपूर्ण है। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति तीन नदियों के संगम में स्नान करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसीलिए प्रयागराज में इसका महत्व अधिक है। मान्यताओं के अनुसार 144 साल में एक विशेष महाकुंभ मेला लगता है जब 12 पूर्ण कुंभ हो जाते हैं तब एक महाकुंभ लगता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगवान विष्णु अमृत से भरा कलश लेकर जा रहे थे तो असुरों से छीना झपटी में अमृत की बूंदे चार स्थान पर गिरी। उन्ही चारों स्थान पर कुंभ मेले  का आयोजन किया जाता है। यह मेला करोड़ों श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है। और सनातन संस्कृति की महानता को दर्शाता है। कुंभ मेला हर 12 साल में आयोजित होता है जबकि हर 6 साल में अर्ध कुंभ का आयोजन किया जाता है। कुंभ मेले का महत्व केवल धार्मिक दृष्टिकोण से नहीं बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस मेले में संत महात्मा ऋषि मुनि और संस्कृत तथा आस्थावान श्रद्धालु तथा पर्यटक बड़ी संख्या में शामिल है।कुंभ स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा कुंभ मेला आध्यात्मिक ज्ञान सांस्कृतिक आदान-प्रदान और सामाजिक समरसता का प्रतीक है। 
सीमा त्रिपाठी 

शिक्षिका साहित्यकार लेखिका 

लालगंज प्रतापगढ़

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