रामचरित आचरित करने में ही सबका कल्याणा
सिकन्दरपुर (बलिया)
'गौरांगी गौरी'
द्वादशवर्षीय पूर्व मौनव्रती एवं परमधाम-प्रतिष्ठापक पूज्य परिव्राजकाचार्य स्वामी ईश्वरदास ब्रह्मचारी जी महाराज की असीम कृया व प्रेरणा से क्षेत्र के श्री बनखण्डी नाथ (श्री नागेश्वर नाथ महादेव) मठ डूहा, ग्राम व पत्रालय इहा बिहरा (बलिया) के पावन परिसर में लोक कल्याणार्थ आयोजित चालीस दिवसीय अद्वैत शिवशक्ति कोटि होमात्मक राजसूय महायज्ञ में वैदिक यज्ञमण्डप के अन्तर्गत प्रतिदिन की भाँति वेदमन्त्रों के साथ पूजन अर्चन वन्दन हुआ, साथ, एक सौ आठ कुण्डों में शाकल्य एवं घृताहुतियाँ दी गयी जिससे वातावरण सुरभित हो गया।
अयोध्या सान्ध्य सत्र ज्ञानयज्ञ मण्डप में वैराग्य भूमि से चलकर यहाँ पधारों मानस-मर्मज्ञा गौर गौरांगी गौरी जी ने व्यासपीठ से सुधी श्रोताओं को सम्बोधित किया। उन्होंने रामचरित मानस के अनेक डाला। गौरांगी को सुनने के अनछुए पर विद्वत्ता-पूर्ण प्रकाश लिए भक्तों व श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड पड़ी। उनकी संगीतमयी कथा में श्रोतागण झूम उठे। गौरांगी जी ने बलिया जनपद के ऐतिहासिक, पौराणिक एवं आध्यात्मिक गौरव -: - गाथा का चारुतूर रुतर ढंग से प्रस्तुत किया - बागी बलिया जय-जयकार | उन्होंने विश्वगुरु भारत की महिमा पर प्रकाश डालते हुए रामकथा में प्रवेश किया।
कहा कि रामकथा में हनुमत लाल की अहम भूमिका है। दुःख और विश्वास ये दोनों एक साथ नहीं रह सकते। श्री रामजी परम मंगलकारी तथा अमंगल का हरण करने वाले हैं, उन पर विश्वास तो करो, दुःख दारिद्र्य की लीलाएँ समूल मिट जायेगा। राम आदर्शवादी है, उनकी मर्यादित हैं, इसीलिए उनको मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है। आज के विषाक्त वातावरण में भगवान श्री का पावन चरित्र वन्दनीय और अनुकरणीय है। उन कराम आचरित करने की परम आवश्यकता है, इसी में देश- दुनिया का कल्याण निहित है।
0 Comments