खूब मन लगा कर पढ़ाई करो


खूब मन लगाकर पढ़ाई करो

 भारत माता के रक्षक

प्रतापगढ़ लखनऊ उत्तरप्रदेश

सौरभ को बचपन से ही इंडियन आर्मी बहुत पसंद थी जब बहुत छोटा था तब अपनी मां से कहता था मां मुझे पुलिस बनना है और धार धार बंदूक चलाना है उसे नहीं पता था कि पुलिस और इंडियन आर्मी में क्या अंतर है उसे तो सभी पुलिस से ही लग गए थे तो मां समझाती थी कि बेटा इसके लिए तो आपको बहुत पढ़ाई करनी होगी तब सौरभ मां से कहता था कि मुझे खूब पढ़ाई करके पुलिस बनना है मां मेरा नाम ऐसे स्कूल में लिखवाना जहां के बच्चे पुलिस बनते हैं उसकी बचपना भरी बातों से उसकी मां हंसते हुए समझाती की बेटा अभी बहुत टाइम है अभी तुम छोटे हो पहले बड़े तो हो जाओ और खूब मन लगाकर पढ़ाई करो सौरव के मन में एक ही बात चल रही थी कि मुझे तो सेना का बहादुर ऑफिसर बनना है और उसे वह पुलिस ही समझता था समय बीतता गया सौरभ ने खूब मेहनत करके एनडीए की परीक्षा पास कर आर्मी जॉइन कर लिया उसके जज्बे को देखकर सभी ऑफिसर उसकी फसल सा करते थे उसके अच्छे काम की वजह से उसका प्रमोशन हो गया और उसकी ड्यूटी भारत चीन की सीमा पर लगा दी गई सौरभ की शादी भी रानी नाम की लड़की से हो गई शादी के कुछ ही दिन बाद सौरव को फोन आता है कि युद्ध प्रारंभ हो गया है आप तत्काल ड्यूटी ज्वाइन कीजिए आनन-फानन में सौरभ ड्यूटी के लिए जाने लगा तब मां बोली बेटा कुछ दिन और रुक जाते अभी तो तुम्हारी शादी के 15 दिन भी नहीं बीते हैं सौरभ ने कहा मां मुझे जाना ही होगा सौरभ ने कहा मां आप समझती नहीं फौजी की जिंदगी ऐसी ही होती है उसके पास ना तो परिवार के लिए समय होता है ना ही परिवार की देखरेख के लिए मां नम आंखों से बेटे को ड्यूटी पर जाने की मौन सहमति देती है रानी आंखों में आंसू भर कर बैग तैयार करने लगती है परिवार के सभी लोग सौरभ को छोड़ने स्टेशन जाते हैं सौरभ अपनी आंख के आंसू छुपाए हुए सिर नीचा करके मां के पैर छूकर ट्रेन में बैठ जाता है मां और पत्नी अपने आंसू रोक नहीं पाती है और बरबस आंसू छलक पड़ते हैं देखते देखते ट्रेन दूर निकल जाती है और सौरभ आंख से ओझल हो जाता है। मां और पत्नी दोनों कुछ देर तक एकटक निहारती वही खड़ी रह जाती हैं पिताजी के देहांत होने के बाद से सौरभ को अपनी मां की चिंता हमेशा लगी रहती थी वह भगवान से अपनी मां की सलामती की दुआ मांगता रहता था दिवाली का त्यौहार आने वाला था  मां हमेशा कहती थी कि बेटा कहीं भी रहना पर दीपावली पर जरूर आ जाना हम सब साथ-साथ दीपावली का त्यौहार मनायेंगे।सौरभ ने अपनी छुट्टियां बचा के रखी थी कि मां ने कहा है कि दीपावली का त्यौहार पर सब साथ साथ रहेंगे तो अच्छा लगेगा सौरभ का भी मन था कि इस बार दीपावली पर घर चला जाऊंगा एक हफ्ता रह गया था दीपावली को । सौरव को छुट्टियां भी मिल गई थी वह बहुत खुश था कि त्योहार पर घर जाऊंगा उसने अपनी मां और पत्नी के लिए खूब सारे सामान भी खरीद लिए थे और घर में किसी को बताया नहीं था उसने सोचा कि अचानक घर पहुंचकर सरप्राइज दूंगा। कल सौरभ को घर के लिए निकलना था तो आज ही ऑफिस से फोन आता है कि आप की छुट्टी कैंसिल की जाती है सीमा पर युद्ध प्रारंभ हो गया है इसलिए आप की छुट्टी निरस्त की जाती है सौरव के पैर के नीचे से जमीन खिसक गई । उसके अरमान सब धूल में मिल गए उसने अपने मन को समझा कर ड्यूटी पर चला गया ।  वहां शत्रुओं की ओर से भयंकर बमबारी हो रही थी इधर सौरभ भी दुश्मनों को मात दे रहा था सीमा पर शत्रुओं के पक्ष में खलबली मच गई सब मैदान छोड़कर भागने ही वाले थे कि अचानक एक बम सौरभ के पास आकर फट गया और वह बेहोश होकर गिर पड़ा सैनिक तत्काल सौरभ को अस्पताल लेकर गए डॉक्टर बहुत कोशिश करने के बाद भी सौरभ के दोनों पैर नहीं बचा सके अस्पताल से आने के बाद सौरभ खूब फूट-फूट कर रोया और मन ही मन सोच रहा था कि अब मैं घर नहीं जाऊंगा नहीं तो मुझे देखकर मेरी मां को बहुत कष्ट होगा और अपनी मां को दुखी होते मैं कभी नहीं देख सकता सौरभ की मां इधर बेटे के आने की खुशी में तरह-तरह के मिठाइयां पकवान बना रही थी और बहू से कहती देख बहू मेरे सौरभ को यह मिठाई बहुत पसंद है उसे समोसा छोला बहुत पसंद है उसे मां के हाथ का रसगुल्ला भी बहुत पसंद है आने दो सौरभ को सब कुछ मैं अपने बेटे को अपने हाथ से खिलाऊंगी इधर सौरभ बहुत दुखी था और कभी घर नहीं जाएगा यही सोच रहा था कि सौरभ का दोस्त अनिल आता है और पूछता है कि तू घर क्यों नहीं जा रहा तो सौरभ ने अनिल को सब कुछ बता दिया अनिल ने सौरभ को समझाया और कहा घर जाओ और अपनी मां को सब कुछ सच सच बता देना इससे उनको थोड़ा  दुख तो होगा पर यदि तुम नहीं जाओगे तो हो सकता है कि वह कष्ट वह  बर्दाश्त ना कर पाए इसलिए तुम्हें घर अवश्य जाना चाहिए उसकी बात सौरभ मान लेता है और जब घर पहुंचता है तो उसकी मां सौरभ को देखकर जब रोने लगी तब सौरभ मुस्कुराते हुए अपनी मां को गले लगा लेता है और मां को सांत्वना देते हुए कहता है मां तेरा बेटा फौजी है भारत मां की रक्षा करना उसका परम कर्तव्य है और मैंने अपना कर्तव्य पूरी निष्ठा पूर्वक निभाया है । भारत मां की रक्षा करना मेरा सौभाग्य है। परिवार तीज त्यौहार से ज्यादा जरूरी देश की रक्षा करना है ।
सीमा त्रिपाठी

शिक्षिका साहित्यकार लेखिका

लालगंज प्रतापगढ़

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