सिकंदरपुर थाने पर तैनात प्रदीप कुमार सोनकर की पत्नी की मौत का मामला में दोषी कौन
सिकंदरपुर बलिया आजमगढ़ लखनऊ उत्तर प्रदेश
सिकंदरपुर थाने पर तैनात प्रदीप कुमार सोनकर की पत्नी की मौत का मामला
सिकंदरपुर थाने पर तैनात सिपाही प्रदीप सोनकर की पत्नी का मौत की चर्चा सोशल मीडिया और मीडिया पर तेजी से चल रहा है सोनकर का आरोप है की थाना अध्यक्ष के द्वारा मुझे छुट्टी नहीं दिया गया जिससे हम अपनी पत्नी का इलाज नहीं कर पाए और उसकी मौत हो गई
क्या यह सच्चाई है की प्रदीप सोनकर की पत्नी इलाज के अभाव में दम तोड़ चुकी हैं क्या उनके परिवार के सदस्य घर पर नहीं थे जो इलाज कर सकते थे प्रदेश में रहने वाले लोगों का क्या इलाज नहीं होता है उनकी पत्नी घर पर रहती हैं जो लोग परदेस में रहते हैं क्या उनकी पत्नी का इलाज नहीं होता है परिवार के लोग के द्वारा यह आरोप लगाया जा रहा है की प्रदीप अपनी पत्नी का इलाज नहीं कर पाया जिसके वजह से उसकी मौत हो गई है अगर परिवार जॉइंट है उनके मां-बाप और भाई आरोप लगा रहे हैं तो क्या उनकी जिम्मेदारी नहीं बनती है कि घर पर किसी बहू बेटी की तबीयत खराब हो जाए और वह हॉस्पिटल ना पहुंचाएं यह तो मानवता की बात है आरोप लगाने से पहले यह सोचना चाहिए कि मैं कौन सा आरोप किसके ऊपर लगा रहा हूं और सच्चाई क्या है
विधिक जानकारी
उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा किसी भी विभाग में छुट्टी देने से पहले कई लेवल से उसे आवेदन पत्र को होकर गुजरना पड़ता है अगर कोई कोई स्थानीय अधिकारी अगर छुट्टी देने से मन करता है तो उसके ऊपर के अधिकारी के पास आवेदन पत्र लेकर के प्रदीप सोनकर को जाना चाहिए क्या इनके द्वारा उच्च अधिकारियों को छुट्टी के लिए अवगत कराया गया जबकि थाने के बगल में क्षेत्राधिकार का कार्यालय है वहां भी जाकर से आवेदन पत्र दे सकते थे आपने प्रॉब्लम को बात कर वहां से भी छुट्टी ले सकते थे अगर वहां से छुट्टी नहीं मिलती तो अपर पुलिस अधीक्षक बलिया के यहां जाते वहां से भी नहीं मिलती छुट्टी तो पुलिस अधीक्षक के पास जाते और इनको छुट्टी मिल जाती है अगर यह अपना कारण बताते कि हमारी पत्नी बीमार है और हमको जाना है तो इतने लेवल पर जाने तक छुट्टी मिल जाती है जनपद के हर थानों पर एक रजिस्टर बना हुआ है जिस पर कांस्टेबल या किसी भी व्यक्ति को छुट्टी जाने से पहले उसे रजिस्टर को मेंटेन किया जाता है जिसके लिए एक कांस्टेबल या दीवान या मुंशी थाने पर नियुक्त रहते हैं जो छुट्टी का कार्य भार देखते हैं क्या उनके द्वारा प्रदीप सोनकर की छुट्टी रजिस्टर पर अंकित करके थाना अध्यक्ष के पास पेस प्रेषित किया गया अगर प्रेषित किया गया तो थानेदार दोषी हैं अगर नहीं किया गया तो प्रदीप सोनकर को यह आरोप नहीं लगाना चाहिए जबकि प्रदीप सोनकर की माता जी और छोटा भाई साथ-साथ रह करके इलाज कराए हैं उनके कथा अनुसार
क्या है पूरा मामला
कौशांबी जिले के शहजादपुर निवासी सिपाही प्रदीप कुमार सोनकर 2019 बीच के हैं। पत्नी की मौत से दुखी प्रदीप की स्थिति भी ठीक नहीं है। प्रदीप के छोटे भाई और मां ने बताया की 27 जुलाई को अचानक प्रदीप की पत्नी मनीषा की तबियत खराब हो गई। जिसकी तत्काल सूचना प्रदीप को दी गई। सूचना के आधार पर प्रदीप ने थानाध्यक्ष से छुट्टी की गुहार लगाई लेकिन उन्होंने अवकाश के प्रार्थना पत्र को अस्वीकर करते हुए डांट कर भगा दिया। इस बीच मनीषा की तबियत बिगड़ती चली गई। परिजन स्थानीय स्तर पर एक निजी चिकित्सालय में भर्ती कराए लेकिन चिकित्सकों ने मनीषा को अन्यत्र ले जाने की सलाह दी। परिजन मनीषा को लेकर स्वरूप रानी अस्पताल प्रयागराज पहुंचे जहां मनीषा ने दम तोड़ दिया। अंततः 29 जुलाई को प्रदीप डाक लेकर घर के लिए निकला लेकिन पहुंचने से पूर्व ही पत्नी के मौत की मनहूस खबर उस तक पहुंच गई।
छुट्टी के अभाव में पत्नी का नही करा पाया इलाज
आरक्षी के परिजनों का आरोप है कि थानाध्यक्ष की असंवेदनशीलता के कारण प्रदीप समय रहते पत्नी का इलाज नहीं करा पाया, जिसके कारण उसकी मौत हो गई। घटना के बाद सिपाही ने छुट्टी की अर्जी पर थानाध्यक्ष द्वारा किए गए दुर्व्यवहार को रेखांकित करते हुए एसपी समेत अन्य उच्चाधिकारियों को ट्वीट कर आप बीती सुनाई और न्याय की गुहार लगाई है। उधर सिकंदरपुर थाने में तैनात कुछ सिपाहियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया की प्रदीप का ईएल काफी अवशेष है फिर भी उसे अस्वीकार करना समझ से परे है। इस संबंध में पुलिस अधीक्षक विक्रांत वीर ने बताया कि सोशल मीडिया के माध्यम से सिकंदरपुर थाने पर तैनात 2019 बैच के सिपाही प्रदीप सोनकर का एक प्रार्थना पत्र मिला है। जिसमें सिपाही द्वारा अपने पत्नी के इलाज के लिए थानाध्यक्ष के ऊपर छुट्टी न देने का आरोप लगाया गया है। इसकी जांच क्षेत्राधिकारी सिकंदरपुर को दी गई है। क्षेत्राधिकारी पीड़ित परिवार के घर पहुंच रहे है। पीड़ित परिवार से भी मिलेगे। बलिया पुलिस इस समय दुख की घड़ी में प्रदीप के साथ खड़ी है। जांच में जो भी तथ्यात्मक तथ्य (आख्या) सामने आएगी उसके अनुसार विधिक कार्यवाही की जाएगी।
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