गड़वार ब्लॉक के बउरी भलुही गाँव मे चेचक का प्रकोप , महीनों से दर्जनों लोग चपेट में।
*सुखपुरा*- मौसम के बदलने के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्रो में संक्रामक बिमारियों ने अपना पाँव पसारना शुरू कर दिया है | इन संक्रामक बिमारीयों ने दिन ब दिन गाँव के गाँव को अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है | जानकारी के अभाव में गाँव के लोग झाड फुक के चक्कर में बिमारीयों को बढ़ा रहे हैं वही स्वास्थ विभाग इनसे अनजान हाथ पे हाथ रखकर बैठा हुआ है | कई गांवो में चेचक एवं खसरा के प्रकोप से लोगो का जीना दूभर हो गया है।
सबसे आश्चर्य वाली बात यह है कि स्वास्थ्य विभाग इन बीमारियों से अनजान चैन की वंशी बजा रहा है।
क्षेत्र के गड़वार ब्लॉक अंतर्गत बउरीभलुही गाँव मे विगत एक माह से लोगो को तेज बुखार आने के बाद उनके शरीर पर बड़े बड़े दाने या फोफला निकल आना। दाने निकलने के बाद दर्द एवं उन दानों से पानी या मवाद निकलना हो रहा है। एक तरफ जहाँ ग्रामीण इसे चेचक बता रहे हैं तो वही दूसरी तरफ यह प्रश्न उठता है कि चेचक के उन्मूलन के बाद क्या यह दुबारा हो सकती है या फिर चेचक जैसी ही कोई दूसरी बीमारी है। इस बीमारी की पहचान तो चिकित्सक ही बता सकते हैं लेकिन वर्तमान में इस गाँव मे इस बीमारी का प्रकोप अपने चरम सीमा पर है। इस गाँव के लगभग हर परिवार में चेचक जैसी एवं खसरा का प्रकोप हुआ है। वर्तमान इसी गाँव के काशीनाथ यादव उर्फ भगेलू के परिवार में लगभग पाँच लोग क्रमशः संदीप यादव उम्र 20 , राजू यादव 30 वर्ष, शंकर यादव 50 वर्ष एवं महिलाओं को चेचक जैसी बीमारी के प्रकोप के कारण बीमार पड़े हुए हैं। अंध विश्वास के कारण लोग झाड़ फूंक एवं दैवीय शक्ति मानकर पूजा पाठ कर रहे हैं। वही गाँव के बिजेंद्र यादव 25 वर्ष के साथ कई लोग इस संक्रामक बीमारी के चपेट में आ चुके हैं।
इसके साथ साथ वायरल बुखार एवं ,सर्दी जुकाम , खाँसी गलसुआ(मम्फस)तथा फ्लू जैसी बीमारियां भी फैल रही हैं। ग्रामीण जानकारी के अभाव में झोला छाप डॉक्टरों का शिकार हो रहे हैं या फिर माता का प्रकोप समझकर झाड़ फूक करवा रहे हैं।
जबकि इन बीमारियों से अनजान स्वास्थ विभाग आराम से चैन की वंशी बजा रहा है।अधिकांश स्वास्थ केंद्रों पर आज भी दवाओं एवं चिकित्सको का अभाव बना हुआ है।
लोगो का कहना है कि अगर समय रहते इन संक्रामक बीमारियों पर अंकुश नही लगाया गया तो स्थिति और खराब हो सकती है।
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