प्रेम विवाह बनी प्रशासन की मुसीबत
प्रेम विवाह बनी प्रशासन की मुसीबत, एसआईआर सर्वे में अटका हजारों महिलाओं का सत्यापन
मायके की नाराजगी से बीएलओ परेशान, अधूरे रह जा रहे फॉर्म
बलिया (वरिष्ठ संवाददाता)।
प्रेम विवाह कर ससुराल पहुंची बहुएं अब प्रशासन के लिए नई चुनौती बन गई हैं। एसआईआर (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) सर्वे के दौरान दर्जनों ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जहां महिलाओं के मायके पक्ष ने जानकारी देने से साफ इंकार कर दिया है। नतीजा यह है कि मतदाता सूची का सत्यापन लटकता जा रहा है और बीएलओ दिन-रात भटकने को मजबूर हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति और भी गंभीर है। कई बहुएं अपने मायके का सही पता, परिवार का विवरण और जरूरी दस्तावेज तक नहीं जुटा पा रही हैं। जब बीएलओ मायके पक्ष से संपर्क करते हैं, तो अक्सर तंज भरे शब्द सुनने को मिलते हैं — “अब वोटर लिस्ट के लिए याद आई बेटी?”
दूसरे जिलों और राज्यों से आई बहुओं के प्रकरण ने प्रशासन की परेशानी कई गुना बढ़ा दी है। अधूरे फॉर्म, अधूरे दस्तावेज और नाराज परिजन एसआईआर अभियान की रफ्तार पर ब्रेक लगा रहे हैं।
जिला निर्वाचन अधिकारी ने चेतावनी दी है कि सहयोग न करने वालों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जा सकती है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि भावनात्मक रिश्तों की इस दरार ने सरकारी मशीनरी को भी उलझा दिया है।
प्रेम विवाह अब सिर्फ सामाजिक बदलाव नहीं, बल्कि प्रशासनिक सिरदर्द बन चुका है।


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