स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रितों के प्रमाण पत्र व पेंशन की होगी कड़ी जांच
बलिया में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रितों के प्रमाण पत्र व पेंशन की होगी कड़ी जांच
बलिया।
डीएम ने स्पष्ट किया कि बलिया में अपात्र लोगों को भी सेनानी और आश्रित बनाकर पेंशन जारी किए जाने की शिकायतें सामने आई हैं। 1942 के आंदोलन के समय नाबालिग रहे लोग भी सेनानी घोषित हो गए, यहाँ तक कि कलेक्ट्रेट में कार्यरत बाबुओं तक को सेनानी का दर्जा और पेंशन मिल गई। कई अभिलेख गायब कर दिए गए हैं। इसी कारण व्यापक जांच की आवश्यकता महसूस की गई है।
18 परिवारों ने किया आवेदन
अब तक जिले के 11 सेनानियों के 18 परिवारों ने प्रमाण पत्र हेतु आवेदन किया है। जिलाधिकारी ने प्रत्येक केस की गहनता से समीक्षा की तथा आवेदकों से व्यक्तिगत जानकारी भी ली।
उन्होंने सेनानी सूरज भारद्वाज, जिन्हें 17 मार्च 1973 को सेनानी घोषित किया गया था, से संबंधित दस्तावेजों का सत्यापन कराने का निर्देश दिया। लेकिन समय पर रजिस्टर प्रस्तुत न करने पर सहायक वरिष्ठ कोषाधिकारी साधना पाण्डेय को कड़ी फटकार लगाई और चेतावनी दी कि यदि अभिलेख तत्काल उपलब्ध नहीं कराए गए तो उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
कड़े निर्देश
- प्रत्येक आवेदन पत्र के साथ शपथ पत्र अनिवार्य किया जाएगा।
- जिस आश्रित को एक बार प्रमाण पत्र जारी हो चुका है, उसे दोबारा नहीं मिलेगा।
- गलत प्रमाण पत्र जारी होने की स्थिति में जिम्मेदार अधिकारियों पर कठोर कानूनी कार्रवाई होगी।
- आश्रितों को यह भी साबित करना होगा कि सेनानी कब घोषित हुए और कब पेंशन स्वीकृत हुई।
जिलाधिकारी ने एडीएम अनिल कुमार गुप्ता को सभी सेनानियों के अभिलेखों की गहन जांच करने का आदेश दिया। केवल उन्हीं को प्रमाण पत्र और पेंशन दी जाएगी जिनके दस्तावेज पूर्ण रूप से सही पाए जाएंगे।
बैठक में एडीएम अनिल कुमार गुप्ता, सीआरओ त्रिभुवन सिंह, वरिष्ठ कोषाधिकारी, सभी एसडीएम तथा सेनानी आश्रित परिवार मौजूद रहे।
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