बहदुरा ग्रामसभा में सामुदायिक शौचालयों की बदहाली, ग्रामीणों में आक्रोश
बलिया(राष्ट्र की संपत्ति)
मनियर ब्लॉक अंतर्गत बहदुरा ग्रामसभा में सरकार द्वारा दो से ढाई वर्ष पूर्व निर्मित सामुदायिक शौचालयों की स्थिति इन दिनों बदहाल हो चुकी है। एक ओर स्वच्छ भारत मिशन के तहत करोड़ों की लागत से ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय निर्माण कराए गए, वहीं बहदुरा में बने दो सामुदायिक शौचालयों की दशा देख कर स्वच्छता अभियान की हकीकत सामने आ जाती है।
ग्रामीणों के अनुसार, एक शौचालय के गेट पर निर्माण के समय से ही ताला लटक रहा है, तो वहीं दूसरा शौचालय कूड़े-कचरे का अड्डा बन चुका है। टंकी में पानी नहीं है, सफाई का अभाव है और परिसर में झाड़ियाँ व पौधे उग आए हैं। शौचालय के आसपास गंदगी का अंबार लगा है, जिससे राहगीरों और ग्रामीणों को भारी असुविधा हो रही है।
ग्रामसभा के पूर्व प्रधान और भूतपूर्व सैनिक श्री जनार्दन चौधरी ने जानकारी दी कि शौचालयों की देखरेख के लिए एक महिला को नियुक्त किया गया है, जिसे ₹6000 मासिक मानदेय तथा ₹3000 सफाई सामग्री के लिए दिया जाता है। लेकिन उक्त महिला एक निजी विद्यालय संचालित कर रही है और शौचालय की जिम्मेदारी से पूरी तरह बेखबर है।
गांव के जागरूक नागरिक रामजी यादव, अरविंद गुप्ता और जयप्रकाश यादव ने सामुदायिक शौचालयों की दुर्दशा पर चिंता जताते हुए इसकी तत्काल मरम्मत व नियमित सफाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन के उद्देश्यों को पलीता लग रहा है।
वहीं बहदुरा के वर्तमान ग्राम प्रधान शिवनाथ पासवान ने शौचालय पर ताले लगे होने के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि वे दिल्ली से लौटते ही साफ-सफाई का कार्य शुरू करवा देंगे।
ग्रामीणों का कहना है कि यदि जल्द ही शौचालयों की मरम्मत और नियमित देखभाल सुनिश्चित नहीं की गई तो वे प्रशासन से इसकी शिकायत करेंगे।
> स्वच्छ भारत की जमीनी हकीकत उजागर करती यह स्थिति जिम्मेदारों की अनदेखी की मिसाल बनती जा रही है।
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