भव रोग की महौषधि हैं सन्तगुरु-शरण : डूहा बिहरा में संत सम्मेलन सम्पन्न
सिकन्दरपुर (बलिया)।
स्थानीय क्षेत्र के डूहा बिहरा ग्राम पंचायत स्थित श्री नागेश्वरनाथ महादेव मठ परिसर में आयोजित संत सम्मेलन एवं भजन-कीर्तन का भव्य आयोजन मंगलवार को किया गया। इस अवसर पर सन्त-महात्माओं, विद्वानों एवं श्रद्धालुओं की उपस्थिति में आध्यात्मिक विचारों का आदान-प्रदान हुआ। कार्यक्रम में श्री श्री 1008 श्री त्रिलोकीनाथ ब्रह्मचारी जी महाराज के सानिध्य में गुरु परम्परा एवं भक्ति पर आधारित विचार प्रस्तुत किए गए।मुख्य वक्ता द्वारिकाधीश मठ मठाधीश्वर श्री त्रिलोकीनाथ ब्रह्मचारी ने कहा कि गुरु भक्ति का मार्ग ही भव-सागर से पार लगाने वाला सरलतम उपाय है। उन्होंने कहा कि जब तक मनुष्य गुरु की शरण में नहीं आता, तब तक उसका जीवन मोह-माया के भ्रम में ही उलझा रहता है। संत श्री ने कहा कि “यदि दुःख सन्त सताए सब सहिए, प्रभु मन माहीं। दुःख में सुमिरन सब करें, सुख में करे न कोय॥”कार्यक्रम में उपस्थित विद्वानों ने गुरु की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि गुरु ही जीव को आत्मा से जोड़ता है। इस अवसर पर क्षेत्र के सुप्रसिद्ध विद्वान श्री योगी श्री वनखण्डी नाथ, श्री गंगेश्वरनाथ, बाबा श्री गंगाधरनाथ जी, तथा विश्व में रजत पदक प्राप्त ब्रह्मचारी श्री मोनी बाबा समेत अनेक संतों ने अपने विचार प्रस्तुत किए।कार्यक्रम के संयोजक राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि यह भू-भाग संतों और तपस्वियों की साधना स्थली रही है। आज भी यहां संतों की ऊर्जस्विता एवं आध्यात्मिक चेतना जीवंत है। यह परंपरा समाज को दिशा देने वाली रही है और आज भी इसका महत्व अक्षुण्ण है।अंत में उन्होंने उपस्थित श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि हम सभी को इन संत-महापुरुषों के जीवनादर्शों को आत्मसात कर अपने जीवन को सार्थक बनाना चाहिए।
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