भक्ति, शौर्य और उल्लास के रंग में रंगा सिकंदरपुर: ऐतिहासिक गरिमा के साथ निकला प्रथम राम अखाड़े का भव्य जुलूस
सिकंदरपुर / बलिया (राष्ट्र की सम्पत्ति)
शनिवार की रात सिकंदरपुर नगर उस अद्भुत आलोक से जगमगा उठा, जब भक्ति, परंपरा और शौर्य का संगम बनकर प्रथम राम अखाड़ा का ऐतिहासिक जुलूस पूरे नगर में धूमधाम से निकला। महावीर स्थान से रात्रि 9:30 बजे जैसे ही जुलूस ने नगर भ्रमण के लिए कदम बढ़ाए, पूरा सिकंदरपुर "जय श्रीराम" और "जय महावीर" के घोष से गूंज उठा। श्रद्धा, उत्साह और परंपरा की त्रिवेणी में डूबे नगरवासियों के चेहरे पर एक विशेष तेज दिखाई दे रहा था।
परंपरा का परचम थामे बढ़े कदम
इस जुलूस की अगुवाई कर रहे गणेश सोनी और दुर्गादास के नेतृत्व में क्षेत्र के कोने-कोने से आए सैकड़ों श्रद्धालु, युवा और बच्चे परंपरागत वेशभूषा में सज-धजकर जब नगर की गलियों से गुज़रे, तो हर रास्ता मानो इतिहास के पन्नों को दोहरा रहा था। जुलूस सोनार गली, पुराना पोस्ट ऑफिस, जल्पा चौक, रशीदिया चौक, भिखपुरा, बढ़्ढा, गुरुजी का मोड़ होते हुए जब कोलेसर मार्ग से चतुर्भुजनाथ मंदिर पहुँचा, तो वहां ठाकुर जी के चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित कर पहला पड़ाव संपन्न किया गया।
शौर्य का अद्वितीय प्रदर्शन बना आकर्षण का केंद्र
जुलूस का सबसे रोमांचक और अद्भुत दृश्य रहा अखाड़ा सदस्यों द्वारा दिखाया गया शौर्य प्रदर्शन। लाठी, डंडों, तलवारों और त्रिशूलों से सजे जवानों ने जब हवा में चक्रवात बनाते हुए करतब दिखाए, तो हर उम्र के दर्शकों की आंखें आश्चर्य और गर्व से भर उठीं। हाथों की गति और पैरों की लय में समर्पण और अनुशासन झलक रहा था। हर करतब पर तालियों की गड़गड़ाहट और जयघोष से माहौल और भी ऊर्जावान हो गया।
नगर बना भक्तिमय उत्सव का केंद्र
पूरे मार्ग में नगरवासियों ने फूल-मालाओं, आरती थालियों और जलपान की व्यवस्था से श्रद्धालुओं का स्वागत किया। हर गली में घरों की छतों से लोग दीप जलाकर आशीर्वाद बरसाते दिखे। नगर का कोना-कोना एक अलौकिक मेले में तब्दील हो चुका था। महिलाएं थाल सजाकर जयकारे लगाती रहीं और बच्चे पारंपरिक धुनों पर थिरकते नजर आए।
प्रशासनिक सतर्कता और अनुशासन का अद्भुत समन्वय
इस आयोजन को सफल बनाने में प्रशासन ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी। उपजिलाधिकारी सिकंदरपुर, क्षेत्राधिकारी, थानाध्यक्ष प्रवीण कुमार सिंह, खेजुरी थानाध्यक्ष दिनेश पाठक, क्राइम इंस्पेक्टर नरेश मालिक, चौकी इंचार्ज ज्ञान प्रकाश तिवारी समेत अनेक पुलिस अधिकारी और जवान सुरक्षा व्यवस्था में पूरी मुस्तैदी से तैनात रहे। उनकी सतर्क निगरानी में यह आयोजन पूरी तरह शांतिपूर्ण और गरिमामयी ढंग से सम्पन्न हुआ।
एक आयोजन, अनेक संदेश
यह जुलूस केवल धार्मिक आयोजन भर नहीं था, बल्कि यह क्षेत्रीय एकता, सांस्कृतिक गर्व और युवाओं की रचनात्मक ऊर्जा का जीवंत उदाहरण भी बना। इसने न सिर्फ पुरातन परंपराओं को पुनर्जीवित किया, बल्कि नई पीढ़ी को उसकी जड़ों से जोड़ने का कार्य भी किया।
अंत में...
रात के अंतिम प्रहर में जब यह जुलूस महावीर स्थान लौटकर सम्पन्न हुआ, तो नगरवासियों की आँखों में थकावट नहीं, बल्कि गर्व और भक्ति की चमक थी। यह आयोजन सिकंदरपुर की सांस्कृतिक चेतना में एक नई ऊर्जा का संचार कर गया। निश्चित ही यह प्रथम राम अखाड़ा जुलूस आने वाले वर्षों के लिए एक प्रेरक परंपरा का सूत्रपात कर गया
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