*# ग्रा प ए संस्थापक बाबू बालेश्वर लाल जी की पुण्यतिथि ( 27 मई ) पर विशेष..*
बलिया आजमगढ़ लखनऊ उत्तरप्रदेश
आज से करीब चार- पांच दशक पहले
1980 के दशक में ग्रामीण पत्रकार भी कुछ होता है, कम ही लोग जानते थे। आंचलिक ग्रामीण पत्रकारों को पहचान दिलाने की सबसे सशक्त पहल की ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन ने और आज चार दशक की उतार चढ़ाव भरी यात्रा के बाद ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन न केवल उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा और प्रभावशाली संगठन बन कर उभरा है अपितु राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी विशिष्ट पहचान के साथ ही विस्तारित होने की दिशा में अग्रसर है।
ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन की स्थापना 8 अगस्त 1982 को बलिया जनपद के एक छोटे से गड़वार कस्बे में पत्रकार एवं शिक्षक बाबू बालेश्वर लाल जी ने कुछ स्थानीय पत्रकार साथियों के साथ मिलकर की थी। आज यह संगठन पूरे प्रदेश में वटवृक्ष के रूप में फैल चुका है।
*संस्थापक अध्यक्ष बाबू बालेश्वर लाल जी का जीवन परिचय*
आप का जन्म बलिया जनपद के एक छोटे से गांव रतसर में कैलेंडर नववर्ष 1930 अर्थात 01 जनवरी 1930 को माता श्रीमती सुरति देवी और पिता स्व. चंद्रिका प्रसाद के परिवार में हुआ था। उस समय कौन जानता था कि यह बालक आगे चलकर ग्रामीण पत्रकारों की सशक्त आवाज बनेगा।परिवार में आप से बड़ी दो बहने एवं एक छोटी बहन थी। गाँव में ही प्रारंभिक शिक्षा के बाद आपने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी से राजनीति शास्त्र में एम ए किया और महात्मा गॉंधी काशी विद्यापीठ से इतिहास में भी एम ए किया और फिर 1952 में आप जंगली बाबा इंटर कालेज गड़वार ( बलिया) में प्रवक्ता बने। पत्रकारिता के क्षेत्र में आप दैनिक जनवार्ता और स्वतंत्र भारत समाचार पत्रों के साथ ही स्वतंत्र रूप से अनेकानेक पत्र पत्रिकाओं से जुड़े रहे।
1950 में आप का विवाह गड़वार बलिया के ही जाने माने वरिष्ठ अधिवक्ता बालेश्वर प्रसाद की सुपुत्री चम्पा श्रीवास्तव से हुआ। पारिवारिक जीवन में आप के तीन पुत्रों में सौरभ कुमार, सुनील कुमार और सुजीत कुमार रहे। 27 मई 1987 को आपने 57 वर्ष की अवस्था में अपने जीवन की अंतिम सांस ली। आप के असामयिक निधन से परिवार ,समाज और विशेषकर ग्रा प ए की अपूरणीय क्षति हुई।
*संगठन के प्रति आपका समर्पण*
करीब चार दशक पूर्व जिस दौर में आपने आंचलिक ग्रामीण पत्रकारों की पीड़ा महसूस करते हुए ग्रा प ए का पौधा रोपण किया उस समय आंचलिक ग्रामीण पत्रकारों की अपनी न कोई पहचान थी और न ही मान सम्मान। यह पीड़ा आपको सदैव सलाती रही। उस दौर में पत्रकारों के नाम पर एक- दो बड़े पत्रकार संगठन केवल शहरी पत्रकारों तक ही सीमित थे जिनका आंचलिक पत्रकारों से कोई लेना देना नहीं था। आपने 8 अगस्त 1982 को ग्रा प ए उत्तर प्रदेश की स्थापना कर प्रदेश भर में कस्बाई पत्रकारों को जोड़कर उनकी पहचान एवं स्वाभिमान की रक्षा का संकल्प लिया और अपने जीवन की अंतिम सांस तक पूरे समर्पण एवं मनोयोग से इसे पूरा करने में जुटे रहे।
*पोस्ट कार्ड वाला संगठन*
संगठन की स्थापना के दौर में आज की तरह संसाधन नहीं थे। संसाधनों के घोर अभाव के बीच कस्बाई पत्रकारों से संपर्क और संवाद करना आसान नहीं था, ऐसे में आपने अपनी दृढ़ संकल्पित इच्छा शक्ति से इसका समाधान निकाला और डाकघर में मिलने वाले 15 पैसे के पोस्टकार्ड को माध्यम बनाया। आप के बड़े पुत्र और यशस्वी निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष डॉ सौरभ कुमार जी बताते हैं कि बाबूजी प्रतिदिन गड़वार के चट्टी चौराहे पर स्थित चाय पान की दुकानों में आने वाले अखबारों को पढ़ते और कस्बाई क्षेत्रों की डाक लाइन नोट करते और फिर घर में जब भी समय मिलता पोस्ट कार्ड लिखने बैठ जाते। दर्जनों पोस्ट कार्ड वह रोज लिखते और संवाददाता, समाचारपत्र का नाम तथा डाक लाइन का स्थान लिखकर डाकघर में पोस्ट कर देते। कुछ के वापसी जवाब आते तो तमाम अनदेखा कर देते। इन सब से विचलित हुए बिना वर्षों तक यह उनकी दिनचर्या में शामिल रहा।
*लखनऊ में आयोजित हुआ पहला सम्मेलन*
संगठन की स्थापना के बाद प्रदेश स्तर पर आंचलिक पत्रकारों का पहला दो दिवसीय बड़ा सम्मेलन 21-22 फरवरी 1987 को गंगा प्रसाद मेमोरियल हाल लखनऊ में आयोजित हुआ जिसमें पूरे प्रदेश से 400 से अधिक पत्रकारों ने सहभागिता की और यहीं अधिकांश लोग पहलीबार बाबू बालेश्वर लाल जी और अन्य पदाधिकारियों से रुबरु हुए। इस प्रथम अधिवेशन की अध्यक्षता बाबूजी ने की और यह अधिवेशन उनके जीवन का पहला और अंतिम अधिवेशन बन गया।
*जब सौरभ जी ने अध्यक्ष बन स्वीकार की चुनौती*
27 मई 1987 को बाबूजी के आकस्मिक निधन के बाद संगठन पर संकट के काले बादल मडराने लगे और कोई अन्य उस कठिन दौर में अध्यक्ष का दायित्व संभालने को तैयार नहीं था तो तत्कालीन पदाधिकारियों ने बैठक कर अध्यक्ष पद का दायित्व उनके बडे़ पुत्र सौरभ कुमार को सौंपा और उन्होंने उस चुनौती को स्वीकार करते हुए अपने अन्य पदाधिकारी साथियों के साथ मिलकर रात दिन एक कर संगठन के लिए काम किया, परिणामस्वरूप 1987 में ग्रा प ए रुपी वह नन्हा सा अंकुरित पौधा चार दशक में तमाम उतार चढ़ाव के साथ अब प्रदेश में वटवृक्ष के रूप में अपनी मजबूत पकड़ बनाने के साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशिष्ट पहचान के साथ विस्तारित होने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। वर्तमान में राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय देवी प्रसाद गुप्ता और प्रदेश अध्यक्ष माननीय महेन्द्र नाथ सिंह जी, निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष सौरभ कुमार जी अपने सहयोगी पदाधिकारियों, समर्पित साथियों के साथ मिलकर पूरे मनोयोग से संगठन हित में इसे मजबूती देने में लगे हैं।
आगामी27 मई को संस्थापक अध्यक्ष बाबूजी की पुण्यतिथि पर पूरे प्रदेश के विभिन्न जनपदों एवं तहसीलों के साथ साथ अन्य अनेकानेक प्रदेशों में भी विविध कार्यक्रम आयोजित कर उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर चर्चा कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की जायेगी।
बाबूजी के बताये रास्ते पर चलकर संगठन को मजबूत करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
संस्थापक अध्यक्ष बाबू बालेश्वर लाल अमर रहें।
जय पत्रकार! जय ग्रा प ए!!
प्रदेश संगठन मंत्री
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