विश्व पटल पर है जहां । सबसे अलग संस्कार ।।

 विश्व पृथ्वी दिवस (स्वरचित हिन्दी कविता)

प्रतापगढ़

पुष्पित पल्लवित हो।

 नित ओढ़े धानी परिधान।।

 पैदा किये है जिसने। 

सूर तुलसी जैसे विद्वान।। 

संयम धैर्य की परिभाषा। 

ढोती है सबका भार ।।

समझे सब अपना अधिकार। 

करते रहते नित प्रहार।।

 विश्व पटल पर है जहां ।

सबसे अलग संस्कार ।।

पुष्पित पल्लवित हो ।

नित ओढे धानी परिधान ।।

करो हे!देव तुम रक्षा ।

आए ना कोई विकार।।

 त्योहार अनेकों होते हैं।

 ना मन में कोई भेद पले।।

 हर जाति धर्म में प्रेम रहे।

 और अखंडता का दीप जले।।

 पुष्पित पल्लवित हो ।

नित ओढ़े धानी परिधान ।।

जिसकी गोद में पलती फसले। 

जिससे होता नवसृजन अपार।। 

त्याग तपस्या की मूर्ति।

 समरसता का हो विचार।।

 मर्यादा पूजी जाती है ।

तन मन धन से सेवा भाव रहे।।

 हे मां अब तेरी खातिर ।

सब कुछ मेरा कुर्बान रहे।।

सीमा त्रिपाठी 

शिक्षिका साहित्यकार लेखिका 

लालगंज प्रतापगढ़

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