प्रतापगढ़
बलात्कार शब्द सुनते ही शरीर का एक- एक अंग सिहर उठता है। बलात्कार की घटनाएं दिल और दिमाग पर गहरा असर डालती है। रोज-रोज बढ़ते बलात्कार के मामले हमारे समाज में महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल पैदा करते हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि आज भी पुरुषों ने महिला को केवल भोग की वस्तु ही माना है। जो की पूरी तरह गलत है बलात्कार--- सिर्फ यौन क्रिया ही नहीं बल्कि एक प्रकार की हिंसा है जो महिलाओं के प्रति विकृत मानसिकता या का परिचायक है। जो पुरुष बलात्कार करते हैं वह मानसिक विकृति से पीड़ित होते हैं। बलात्कार का शाब्दिक अर्थ है---- बलपूर्वक किया गया कार्य। और इसको समझ पाना आसान नहीं है। कई बार पुरुषों का बढ़ता तनाव भी बलात्कार का कारण बनता है। अगर हम अपने बच्चों को अच्छी परवरिश दे तो हो सकता है लोगों के विचार और सोच को बदला जा सके। अगर कोई गलत तरीके से टच करे तो उसका विरोध करना चाहिए। पढ़े-लिखे समाज को समझना चाहिए की लड़की कोई खिलौना नहीं है। गलत को कभी बर्दाश्त नहीं करना चाहिए। महिलाओं के साथ बलात्कार के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठानी चाहिए। यह एक मानवीय सामाजिक विकृति का परिचायक है। बलात्कार करने वाला व्यक्ति अपराधी प्रवृत्ति का होता है। और उसके भीतर वहसीपन होता है। बलात्कारियों के बचपन के पालन पोषण पर भी सवाल उठता है इससे यह भी स्पष्ट होता है कि बलात्कारियों को सजा देने के लिए हमारे कानून में सख्ती नहीं है जिससे अपराधियों का मनोबल और हौसला बढ़ता है। महिलाओं को अपनी सुरक्षा के लिए हर तरह के उपाय से सजग और शारीरिक रूप से मजबूत होना चाहिए। उन्हें विपरीत परिस्थितियों से निपटने के लिए बचपन से ट्रेनिंग मिलनी चाहिए। तभी वह स्वयं अपनी रक्षा कर सकेंगी।महिलाओं के अंदर आत्मविश्वास पैदा करना अनिवार्य है ताकि वह किसी भी स्थिति में सुरक्षित महसूस कर सके।
सीमा त्रिपाठी
शिक्षिका साहित्यकार लेखिका
लालगंज प्रतापगढ़
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