परिवार प्रेम ओर खुशी
बलिया आजमगढ़ लखनऊ उत्तरप्रदेश
बड़ा परिवार होता था खुशी के साथ जीते थे।
रिश्तो में प्यार होता था सभी एक साथ रहते थे।
सभी का मान होता था मिल
बांट कर खाते थे।
त्योहार पर प्रेम बरसता था आपस में खुशियां मनाते थे।
बड़ा परिवार होता था खुशी के साथ जीते थे।
बोली में अपनापन था बनावटी पन से दूर रहते थे।
सुविधाओं का अभाव था एक दूसरे की मदद करते थे
पिता का भय सताता था मां के आंचल में छिप जाते थे
बड़ा भाई रामसरीखा था भाभी को भाभी मां कहते थे।
बड़ा परिवार होता था खुशी के साथ जीते थे।
सफर बड़ा कष्टदायी था साइकिल से मीलो चलते थे।
संस्कार रग रग में बसता था सभी अनुशासित होते थे।
दादाजी का रुतबा था सभी पंगत में बैठकर खाते थे।
संपन्नता का अभाव रहता था फिर भी दस-दस को पालते थे। बड़ा परिवार होता था खुशी के साथ जीते थे।
दुश्मन भी घबराता था एक साथ सब वार करते थे।
विचारों का आदान-प्रदान होता था अनुभव से सब सीखते थे। शादी ब्याह सामूहिक होता था सभी सहयोग करते थे।
खर्च सभी का सीमित था मिल बांटकर व्यय करते थे।
शिक्षिका साहित्यकार लेखिका
लालगंज प्रतापगढ़
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