सकारात्मक विचार ही असंभव को संभव बनाता है
मनुष्य के मन की सीमा रेखा उसके मन में उत्पन्न भाव के द्वारा सीमांकित होती है जैसी सोच वैसा जीवन
प्रतापगढ लखनऊ
जैसी मनुष्य की सोच होती है। वैसा ही उसका व्यक्तित्व होता है। जैसा भाव या विचार होगा वैसा ही जीवन होगा। अच्छे विचारों का चयन करना चाहिए, क्योंकि अच्छे विचार होंगे तभी अच्छे कर्म भी होंगे। सकारात्मक विचार ही असंभव को संभव बनाते है। समस्त जीवों में मनुष्य ही मानसिक जीव है। वह जैसा सोचता है वैसा ही बन जाता है। मनुष्य के मन की सीमा रेखा उसके मन में उत्पन्न भाव के द्वारा सीमांकित होती है हमारे सोचने का तरीका और हमारे विचार हमारे व्यक्तित्व और आदतों को निर्मित करते हैं। हम जो सोचते हैं वह हमारे भावनाओं विचारों और अनुभव से जुड़ा होता है। हमारी सोच हमारे सपनों को जाग्रत करती है। जैसे कि हम किसी कार्य के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ हो जाए तो हम उस कार्य को उसी तरह कर लेते हैं जैसा हम सोचते हैं और वैसा ही बन भी जाते हैं। कुछ लोग भाग्य को कोसते हैं पर यह गलत है परमात्मा ने अपना भाग्य लिखने की शक्ति स्वयं मनुष्य को दिया है। मनुष्य जैसा सोचेगा वैसा ही काम करेगा और एक दिन वैसा ही बनेगा जैसा वह सोचता है। इसलिए विचारों का मानव जीवन में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। हम सभी को बचपन से ही अच्छे संस्कार अच्छे विचारों की ओर उत्प्रेरित किया जाता है। जीवन के विषय में हमेशा सकारात्मक विचार अपनायें नकारात्मक नहीं। क्योंकि जैसा सोचेंगे वैसा ही अपनाएंगे और आपका शरीर आपके विचारों से प्रभावित होता है। दूसरी ओर ऐसे लोग भी हैं जो अपना जीवन निराशा असफलता और विपत्ति के रूप में स्वीकार करते हैं इसलिए उनका जीवन दुखमय बनकर रह जाता है। अब यह आपके ऊपर निर्भर करता है कि आप अपने जीवन को दुख के सागर में धकेलना चाहते हैं या सुख के सागर में। आप अपने जीवन के स्वयं मालिक हो। जैसी सोच को आप अपने मस्तिष्क में जन्म देते हैं इस तरह की गतिविधियों का आप अपनी जिंदगी में अनुभव करने लगते हैं। यदि आप अपनी जिंदगी में सकारात्मक बदलाव लाना चाहते हैं तो पहले अपनी सोच को बदलें। जो सपने देखने की हिम्मत रखते हैं वह सब कुछ हासिल कर सकते हैं। और वह भी अपने दम पर। इसलिए हमेशा अपने विचारों पर ध्यान दें। मनुष्य अपने अंदर जैसा विचार रखता है ,वैसा ही व्यवहार करता है, और वैसा ही बन जाता है। हम जैसा बीज बोएंगे वैसा ही बगीचा तैयार होगा। उसी तरह के फल फूल भी मिलेंगे जिम्मेदारी हमारी है कि हम अपने आप को कैसे गढ़ते हैं। उन्नत संस्कारों के लिए हमें गलत आदतों से बचना चाहिए। तथा व्यवहार में विनम्रता, वाणी में मधुरता तथा मन में सकारात्मकता लाये।इन बातों को आत्मसात करके आप अपने समाज ही नहीं समूचे राष्ट्र के लिए के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करेंगे ।
सीमा त्रिपाठी
शिक्षिका साहित्यकार लेखिका
लालगंज प्रतापगढ़
8317019172
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