दूसरे की भावनाओं का हमें सम्मान करना चाहिए और सबसे मिलजुल कर रहना चाहिए
मनुष्य की भावनात्मक शक्ति
प्रतापगढ़ लखनऊ उत्तरप्रदेश
करुणा और प्रेम हमें एक दूसरे को समझने, समाधान करने और समर्थन देने की क्षमता प्रदान करते हैं। यह हमारे समाज को भावनात्मक मजबूती प्रदान करते हैं। और स्वस्थ समाज की स्थापना भी करते हैं। प्रेम परिवार समाज मित्र तथा सशक्त प्राणियों के प्रति समर्पित भावनाओं को भी प्रकट करता है। प्रतिदिन के जीवन शैली में हमें अपने संबंधों में समर्पण और सहानुभूति लाने की आवश्यकता है।
दूसरे की भावनाओं का हमें सम्मान करना चाहिए और सबसे मिलजुल कर रहना चाहिए। प्रेम की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह इंसान के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करता है। प्रेम की असीम शक्ति हमारे जीवन में सुंदरता तथा सफलता लाती है। प्रेम एक ऐसी भावना है जो हमें एक दूसरे को समझने में सहायक होती है। यह एक दूसरे से सम्मान पूर्वक व्यवहार करने की सीख देती है। हम दूसरों के व्यवहार में परिवर्तन इसलिए चाहते हैं कि हम अपनी खुद खास भावनात्मक जरूरत को पूरा कर सके। दूसरों की भावनाओं की कद्र करना अच्छी बात है। भावनात्मक जुड़ाव हर शख्स का जन्मजात व्यवहार होता है। बचपन में देखभाल के साथ ही इसकी शुरुआत होती है। जिसके आधार पर बच्चा निकटता और सुरक्षा महसूस करता है। एक अच्छा बचपन बेहद जरूरी है। बड़े होने के साथ-साथ अपनापन महसूस करना एक बुनियादी जरूरत है। संवेदनशीलता मनुष्य का स्वाभाविक गुण है इसी के साथ मनुष्य में दूसरों के प्रति करुणा और दया प्रेम का भाव उत्पन्न होता है। भावना आमतौर पर किसी घटना से जुड़ी होती है जो इतिहास में घटित हुई हो या भविष्य में हो सकती है। भावनाओं की एक विशाल श्रृंखला है काम ,क्रोध, रोष, आक्रोश, तिरस्कार से जुड़ी शत्रुता पूर्ण भावनाओं के विशाल परिवार को समझे।उसको समझकर अपनी भावनाओं को स्वीकार करना महत्वपूर्ण है। दोस्ती और रिश्ते बनाए रखने के लिए खुद की
समझ की आवश्यकता होती है। भावनाएं हमें एक दूसरे के करीब लाती है। और सुख-दुख में भागीदार बनाती हैं।
जीवन में भौतिक विकास से ज्यादा भावनात्मक विकास जरूरी है। सुख शांति से जीने के लिए और सफलता हासिल करने के लिए भावनात्मक विकास पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। भावना हमारे जीवन की नींव है। भावनाओं पर नियंत्रण नहीं होने से जीवन लड़़खडा़ने लगता है। तभी तो आए दिन भावनात्मक समस्या है बढ़ती ही जा रही है। भावना में बहकर किया गया कार्य सारी जिंदगी के लिए परेशानी का कारण बन जाता है। ध्यान रखें की भावना में बहकर कोई कार्य न करें। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है सांसारिक व्यवहार में भावनाओं का बहुत महत्व है भावनाहीन मनुष्य पत्थर की तरह निष्ठुर माना जाता है। भावनाएं हमारे विचार आदर्श दृष्टिकोण और आवश्यकताओं के प्रति हमारी प्रतिक्रियाओं को प्रभावित करती है। यदि मनुष्य के भीतर भावनाएं न हो तो वह इंसान नहीं कहलाएगा । भावनाओं के कारण ही मानव जीवन सार्थक एवं सफल है।
सीमा त्रिपाठी
शिक्षिका साहित्यकार लेखिका
लालगंज प्रतापगढ़
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