संपूर्ण महिलाओं को पुरुषों की गिरी हुई सोच का सामना करना पड़ता है आखिर क्यों

संपूर्ण महिलाओं को पुरुषों की गिरी हुई सोच का सामना करना पड़ता है आखिर क्यों

आखिर क्यों होते हैं बलात्कार 

प्रतापगढ़ लखनऊ उत्तरप्रदेश

बलात्कार-यह लफ्ज़ कितना असर करता है हमारे दिल और दिमाग पर। यह शब्द सुनकर  शरीर का एक-एक अंग हिल जाता है। बलात्कार के आए दिन होना संपूर्ण स्त्री जाति की सुरक्षा पर कई सवाल खड़ा कर जाता है। हमारे परिवेश में घुलती बेशर्मी और अनैतिकता भरे आचरण से यही स्पष्ट होता है कि आज भी पुरुषों ने स्त्री को सिर्फ भोग्या ही माना है। संपूर्ण महिलाओं को पुरुषों की गिरी हुई सोच का सामना करना पड़ता है। चाहे वह भद्दे कमेंट हो या फिर उनकी छिछोरी हरकत। यह मानना बिल्कुल गलत है कि पुरुष अपनी यौन जरूरतों के लिए बलात्कार करते हैं। बलात्कार एक यौन क्रिया नहीं है। यह एक तरह की हिंसा है। यह महिलाओं के प्रति विकृत मानसिकता का परिचायक है और बलात्कार एक घिनौना कार्य है। जो पुरुष महिलाओं के साथ जबरदस्ती करते हैं वह किसी न किसी मानसिक विकृति का शिकार होते हैं। बलात्कार का शाब्दिक अर्थ है-- बलपूर्वक किया जाने वाला कार्य। इसको समझना आसान नहीं है इस कार्य को करने वाला व्यक्ति सामाजिक तथा मानसिक विकृति का शिकार होता है इससे साफ स्पष्ट होता है कि बलात्कारियों को सजा देने के लिए कानून सख्त नहीं है। जिससे अपराधियों को भय नहीं होता है और उनके हौसले दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे हैं। एक महिला को अपनी सुरक्षा और बचाव के हर तरह के उपाय आने चाहिए उन्हें शारीरिक रूप से सबल बनाना चाहिए। विपरीत हालातो से जूझने की ट्रेनिंग बचपन से ही मिलनी चाहिए तभी एक महिला अपनी सुरक्षा स्वयं कर सकेगी। महिलाओं के अंदर आत्मविश्वास के भाव जागृत करना चाहिए।

सीमा त्रिपाठी 

शिक्षिका साहित्यकार लेखिका 

लालगंज प्रतापगढ़

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