गांव का शहरीकरण
प्रतापगढ़
गांव हमारे जब से शहरों में तब्दील हो गए।
अपनेपन से हम तो एकदम
दूर हो गए
बाग बगीचों से हम कितने
दूर हो गए
शुद्ध हवा और हरियाली के मोहताज हो गए
गांव हमारे जब से शहरों में तब्दील हो गए।
पीली सरसों के खेत को
चित्रों में देखेंगे
पक्षी के कलरव को
महसूस करेंगे
नानी दादी की कहानी
किताबों में पढ़ेंगे
त्योहारों की मौज मस्ती के
किस्से सुनेंगे
गांव हमारे जब से शहरों में तब्दील हो गए ।
शोर शराबा प्रदूषण को
आमंत्रण दे रहे
सुख-दुख की भागीदारी
से दूर हो रहे
देव तुल्य अतिथि भी अब
बोझ हो रहे
जाने कितने रिश्तो से
हम दूर हो रहे
गांव हमारे जब से शहरों
में तब्दील हो गए।
सीमा त्रिपाठी
शिक्षिका साहित्यकार लेखिका
लालगंज प्रतापगढ़
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