मीठा बोलकर इंसान दुर्लभ कार्यों को भी करवा लेता है

वाणी मनुष्य के जीवन का आधार होती है।

वाणी की सार्थकता

प्रतापगढ़ लखनऊ

वाणी मनुष्य के जीवन का आधार होती है। जैसे मनुष्य की वाणी होती है वैसे ही उसका मन होता है। इसलिए लोग उसके व्यक्तित्व को वैसा ही समझते हैं जैसा वह बोलता है मीठा बोलकर इंसान दुर्लभ कार्यों को भी करवा लेता है। मीठा बोलने वाले व्यक्ति को खुद तो सुकून मिलता ही है दूसरों को भी शीतल कर देता है। वाणी में मिठास सुंदर व्यक्तित्व की पहचान होती है। किसी भी व्यक्ति के बातचीत करने के तरीके से पता चल जाता है कि उसका व्यक्तित्व कैसा है। साधारण दिखने वाले व्यक्ति की वाणी में मिठास हो तो वह सबको अपनी और आकर्षित कर लेता है। उचित अनुचित का ज्ञान रखकर बोलना चाहिए इससे व्यक्ति का व्यक्तित्व प्रभावशाली हो जाता है। कटुता पूर्ण वाणी विष के समान होती है और सामने वाले व्यक्ति को कष्ट पहुंचाती है। किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने के लिए व्यक्ति के व्यक्तित्व की अहम भूमिका होती है। व्यक्तित्व के विकास में भाषा का महत्व बहुत अधिक होता है और भाषा के साथ-साथ वाणी की मधुरता भी आवश्यक है। सामान्य जीवन में हम जो व्यवहार करते हैं उसमें वाणी की अहम भूमिका होती है। वाणी को सुनकर उसके भाव को समझकर यह जाना जा सकता है कि उसकी मन: स्थिति कैसी है। वाणी का प्रभाव बहुत गहरा होता है। वाणी की कठोरता दूसरों पर प्रहार करती है परंतु उसकी मधुरता व कोमलता औषधि का काम करती है। वाणी धनुष से छोड़े हुए उसे बाण की तरह होती है जो मुंह से निकलकर मन के भाव पर असर डालती है। वाणी में मिठास लाकर किसी व्यक्ति का व्यक्तित्व उच्च कोटि का हो जाता है। वाणी में मिठास ही वाणी की सार्थकता है। मीठी बोली बोलकर किसी भी शांत मन में अपना साम्राज्य स्थापित किया जा सकता है जबकि वाणी की कड़वाहट शांत वातावरण में भी हलचल पैदा कर देती है।
सीमा त्रिपाठी
शिक्षिका साहित्यकार लेखिका
लालगंज प्रतापगढ़

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