बुफे सिस्टम (पाश्चात्य सभ्यता की नकल )
प्रतापगढ़
आजकल बुफे सिस्टम का प्रचलन बहुत ज्यादा है। शादी विवाह कार्यक्रम में बुफे सिस्टम को ही लोग ज्यादा पसंद कर रहे हैं। इसमें व्यक्ति खड़े होकर खाना खाते हैं प्लेट लेकर अपने आप प्लेट में भोजन निकलते हैं और उसी जगह खड़े होकर खाना खाते हैं और तो और इस सिस्टम की सबसे खराब बात यह है कि कई तरह के व्यंजन एक ही प्लेट में लिया जाता है और पहले तो सब तरह की व्यंजन प्लेट में निकाल लिया जाता है और बाद में ना खाने पर प्लेट में ही छोड़कर डस्टबिन में फेंक देते हैं जो की इस सिस्टम की सबसे बड़ी बुराई है। छोड़ा हुआ अन्न जानवर के लायक भी नहीं रह जाता है। भारतीय परंपरा में लोग जमीन में बैठकर भोजन करते थे जिसमें शुद्धता तो थी ही साथ ही साथ अन्न की बर्बादी भी नहीं होती थी। जिसको जितना खाना होता था उतना ही वह लेता था लोग बैठकर बड़ी इत्मीनान से भोजन करते थे फैशन के इस दौर में यह प्रथा जाने कहां लुप्त हो गई। बुफे सिस्टम में खड़े होकर भोजन करने के कारण शरीर में अनेक बीमारियां जन्म ले रही हैं जिसे हम सभी अनदेखा कर रहे हैं। जिसका दुष्परिणाम देखने को मिल रहा है। बार-बार भोजन लेने ना जाना पड़े इसलिए प्लेट में ज्यादा भोजन ले लेने से फिर बिना अंदाज के खा लेने से शरीर में अनेकों परेशानियों को हमें ही भोगना पड़ता है। कब्ज, अपच, पेट खराब, गैस जैसी अनेक तकलीफों का सामना करना पड़ता है इतनी गंदी प्रथा कहां से आई और इतनी ज्यादा लोकप्रिय हो गई जिसको हम चाह कर भी छोड़ नहीं पा रहे हैं। जिसको हम सभी अपनाने को मजबूर हैं।जबकि इस प्रथा के दुष्परिणाम हम सभी जानते हैं। फिर भी इसका बहिष्कार करने की हिम्मत हम सब में नहीं है हम सभी को अपनी भारतीय परंपरा पुरानी परंपरा की ओर लौटना ही होगा तभी हमारा शारीरिक तथा मानसिक विकास संभव है यदि शरीर स्वस्थ होगा तभी मन भी स्वस्थ होगा शरीर बीमारियों से लड़ते-लड़ते परेशान रहेगा तो मानसिक विकार स्वत: उत्पन्न होगा। हमारे देश के नागरिक स्वस्थ हो और शारीरिक विकार तथा मानसिक विकार से मुक्ति पाने के लिए हमें इस बुफे सिस्टम को जड़ से उखाड़ फेंकना ही होगा।
सीमा त्रिपाठी
शिक्षिका साहित्यकार लेखिका
लालगंज प्रतापगढ़
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