अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ने का प्रतीक रूप है दीपावली।"तमसो मा ज्योतिर्गमय" का सन्देश वाहक है दीपावली

अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ने का प्रतीक रूप है दीपावली ।"तमसो मा ज्योतिर्गमय" का सन्देश वाहक है दीपो का पर्व दीपावली


सिकन्दरपुर बलिया आजमगढ़ उत्तरप्रदेश


दीपावली प्रकाश पर्व है।दीपावली का अर्थ है दीपों की पंक्ति(अवली)।एक पंक्ति में अनेक दीप जलाए जाते हैं।दीपों की यह पँक्ति एक ही दिशा में नहीं  वरन किसी स्थल के चतुर्दिक जलाई जाती है।इस लिए इसे दीप मलिका भी कहते हैं ,अर्थात दीपों की माला।


वरिष्ठ समाजसेवी योगेश्वर सिंह ने कहा की यह प्रकाश पर्व कार्तिक मास की अमावस्या की सांध्य  बेला में मनाया जाता है।यह अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ने का प्रतीक रूप है।"तमसो मा ज्योतिर्गमय" का सन्देश वाहक है।दीपावली की अगली तिथि से भारतीय समाज का वित्तीय वर्ष आरम्भ होता है,इस लिए लक्ष्मी को धन की देवी भी मन लिया गया।इसी रूप में अनादि काल से वे प्रचलित भी हो गईं।अतः दीपावली के दिन ही लक्ष्मी पूजन कर के नया वित्तीय वर्ष आरम्भ होता है।


भाजपा नेता विमल राय ने बताया की यह तथ्य है कि लक्ष्मी प्रकाश व धन दोनों की संयुक्त रूप से आराध्य के रूप में स्वीकृत हैं किन्तु मूल रूप से यह प्रकाश की ही देवी हैं।लक्ष्मी में 'लक'शब्द का अर्थ देखना है ।भोजपुरी लौकन तथा अंग्रेजी का लुक इसी से बना है।'अक्ष' का अर्थ है आँख।इस प्रकार लक्ष्मी का अर्थ हुआ आंख से देखने में समर्थ बनाने वाली।
डाक्टर पंकज मिश्रा ने बताया की कहा जाता है कि उल्लू पर सवार हो कर लक्ष्मी आती हैं।सवारी कसना और सवारी करना एक मुहावरा है।जिस का अर्थ है काबू में रखना।उल्लू को अंधकार में ही दिखाई पड़ता है।इस लिए वह अन्धकार का प्रतीक है।उल्लू की सवारी करने का अर्थ होगा अन्धकार पर काबू करना।प्रकाश,अन्धकार का नाश कर आंख को देखने में समर्थ बनाता है।इस लिए लक्ष्मी को प्रकाश की देवी भी कहा जाता है,दीपावली जा यही महत्व है।

वैसे दीपावली पर्यावरण की दृष्टि से भी अति महत्वपूर्ण है।वर्षा के चार मास गन्दगी के होते हैं,जीवाणुओं और कीटाणुओं का व्यापक प्रसार इन चार महीनों में हो जाता है।दीपावली के अगणित सरसों के तेल में जलाए गए दीपों की गन्ध से ये जीवाणु और कीटाणु नष्ट हो जाते तथा पर्यावरण स्वच्छ हो जाता है,जो स्वास्थ्य की दृष्टि से अमूल्य है।


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