गाय के भीतर 33 करोड़ देवी देवता वास सनातन मान्यताओं के अनुसार
गाय को माता का दर्जा आखिर क्यों
प्रतापगढ़ लखनऊ उत्तरप्रदेश
गाय को माता का दर्जा क्यों दिया गया है कभी आपने सोचा आज के समय में गाय को कोई पालना नहीं चाहता भगवान श्री कृष्ण की पूजा तो सब करते हैं परंतु उन्होंने जो किया वह कोई नहीं करना चाहता। गाय को पालने से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। पहले घर की रसोई में जब खाना बनता था तो सबसे पहली रोटी गाय के लिए निकलती थी लेकिन आज के दौर में इंसान सब भूल गया है। गाय के भीतर 33 करोड़ देवी देवता वास करते हैं। समुद्र मंथन के पश्चात गौ माता प्रकट हुई । सभी यह जानते हैं कि गाय का दूध सर्वोत्तम है। गाय का गोबर सभी पूजा पाठ में उपयोगी है। गोमूत्र तो औषधि का काम करती है। गाय की सेवा किसी पूजा से कम नहीं है गौ माता भारतीयों की आस्था की प्रतीक है। गौ सेवा के चमत्कार अनगिनत है। भगवान श्री कृष्ण तथा माता लक्ष्मी का वास गौ माता में है जो व्यक्ति गौ माता की सेवा बड़ी श्रद्धा से करते हैं उस पर आने वाली सभी परेशानियों को गौमाता हर लेती हैं। एक गाय को चारा खिलाने से 33 करोड़ देवी देवता को भोग लग जाता है। गाय की सेवा से मनुष्य का दुर्भाग्य दूर हो जाता है। गाय की सेवा से व्यक्ति की कुंडली में सुप्त पड़े नवग्रह जाग उठते हैं। इतना जानते हुए भी आजकल कोई इंसान गाय पालन नहीं चाहता। गाय की जगह कुत्ता पालने का फैशन चल पड़ा है। इंसानों की बुद्धि भ्रष्ट हो गई है। इतना चमत्कारी गुण होते हुए भी गाय की सेवा कोई नहीं करना चाहता वह तो कुत्ते की सेवा करना अपना परम धर्म समझते हैं। जिससे वह अनेक परेशानियों से घिरे रहते हैं। अभी भी समय है अब नहीं जागे तो कब जागोगे ।गौ माता की सेवा से बढ़कर कुछ भी नहीं है। इसलिए गौ सेवा अपनाकर अपना जीवन सार्थक बनाएं ।
सीमा त्रिपाठी
शिक्षिका साहित्यकार लेखिका
लालगंज प्रतापगढ़
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