उफ़ ये गर्मी
प्रतापगढ़ लखनऊ उत्तर प्रदेश
उफ़ ये गर्मी (हिन्दी कविता)
कुछ तो करो विचार।
तपन सह रही सूर्य की,
चिलचिलाहट धूप की ,
दुर्दशा है कूप की,
मलिनता है रूप की ,
कुछ तो करो विचार।।
हर तरफ अंगार है ,
गर्म हवा की मार है ,
चांद भी शर्मसार है ,
तप रहा बाजार है,
कुछ तो करो विचार।।
पक्षी सब बेहाल है,
पानी बिन तालाब है,
वृक्ष काटे सरेआम है ,
सभी का मन बेहाल है,
कुछ तो करो विचार।।
धरती बन गई दावानल ,
अंबर से बरसे अगन,
हवा भी हो गई अनल ,
तपिश के मारे होती जलन,
कुछ तो करो विचार।।
सीमा त्रिपाठी
शिक्षिका साहित्यकार लेखिका
लालगंज प्रतापगढ़
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