मेहनत की गाढ़ी कमाई को दिखावे में बर्बाद होने से बचावे।

 मेहनत की गाढ़ी कमाई को दिखावे में बर्बाद होने से बचावे। 


आजकल की महंगी शादियां 

प्रतापगढ़ लखनऊ

विवाह दो लोगों के बीच एक सामाजिक या धार्मिक मान्यता प्राप्त मिलन होता है। विवाह मानव समाज की अत्यंत महत्वपूर्ण कड़ी है। शादी एक दो दिन का नहीं बल्कि  सात जन्मों का साथ होता है। पहले शादियां वैदिक मंत्रों के उच्चारण देवताओं के आवाहन के साथ संपन्न होती थी किंतु आजकल शादियां सिर्फ एक समारोह बनकर रह गई हैं। शादी सिर्फ एक दिखावा हो गया है।इस दिखावेपन के चक्कर में शादियां अत्यधिक खर्चीली होती चली जा रही हैं। अब वाहवाही में लोग अत्यधिक पैसों की बर्बादी कर रहे हैं। आपके पास पर्याप्त धन हो या ना हो पर वाहवाही  जरूरी है। इसके लिए हम अपनी सामर्थ्य से बाहर जाकर भी आयोजन करने से पीछे नहीं हटते हैं। खर्चीली शादियों का चलन दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। इस दौर में जागरूक और मितव्ययी इंसान भी अपने परिजनों और प्रतिष्ठा के दबाव में वही करता है जिसे हम अनुचित और अनावश्यक ठहराते हैं। विवाह एक सामाजिक प्रथा है। हिंदू धर्म के अनुसार विवाह गृहस्थ आश्रम की नींव है जिसमें स्त्री पुरुष मिलकर परिवार का निर्माण करते हैं। मेरे विचार से आजकल की शादियां खर्चीली ज्यादा होती जा रही है। मुझे लगता है कि जितना पैसा लड़की के घर वाले उसकी शादी में खर्च कर देते हैं वही पैसा यदि उसकी शिक्षा या उसके नाम जमा कर दें तो उसका सही सदुपयोग हो सकता है यदि कभी विषम परिस्थिति आ जाए तो उसे पैसे से लड़की की जिंदगी की गाड़ी भविष्य में पटरी से उतरने नहीं पाएगी। देखा देखी में अपनी अर्थव्यवस्था को बर्बाद ना करें। अपनी सामर्थ्य के अनुसार ही खर्च करें पैसे को फिजूल खर्ची से बचाकर उसका सही-सही इस्तेमाल करें। महंगी शादियों पर रोक लगाने के लिए सरकार को कोई ठोस कदम उठाना चाहिए। जिससे कई लोगों की मेहनत की गाढ़ी कमाई को दिखावे में बर्बाद होने से बचाया जा सके। 
सीमा त्रिपाठी 

शिक्षिका साहित्यकार लेखिका 

लालगंज प्रतापगढ़

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