हो राह अगर बहुत मुश्किल
हर कष्टों को तू सहता जा।
प्रेरणास्पद कविता
प्रतापगढ़ लखनऊ उत्तरप्रदेश
मंजिल पाने को चलता जा
जीवन पथ पर तू बढ़ता जा।
हो राह अगर बहुत मुश्किल
हर कष्टों को तू सहता जा।
मंजिल पाने को चलता जा।।
आंखों में सजाए जो सपने
कुछ भी हो पूरे करने हैं।
रास्ते भरे हो कांटो से
हिम्मत से आगे बढ़ते हैं।
मंजिल पाने को चलता जा।।
किस्मत का रोना ना रोए
बहुमूल्य समय है ना खोये।
हर एक क्षण कोशिश करना है
खुद ही तकदीर बदलना है।
मंजिल पाने को चलता जा।।
सोचता क्या है आगे बढ़
सपना जो देखा उसको सच कर।
हिम्मत और हौसलों से ही
सामना करो हार का डटकर।
मंजिल पाने को चलता जा।।
जो गिरा नहीं वह उठेगा क्या
दुख मिला नहीं सुख जानेगा क्या।
असफलता अगर मिली नहीं
सफलता का सुख जानेगा क्या।
मंजिल पाने को चलता जा।।
सीमा त्रिपाठी
शिक्षिका साहित्यकार लेखिका
लालगंज प्रतापगढ़
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